नई दिल्ली। साल 2017 की शुरूआत ही राजनीतिक सरगर्मी के साथ हुई इस साल पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव साल की शुरूआत में राजनीतिक गरमाहट बनाए हुए थे। ये पांच राज्य थे पंजाब,गोवा,मणिपुर,उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश जिसमें भाजपा के पास पंजाब और गोवा में सरकारें थी तो कांग्रेस के पास मणिपुर और उत्तराखंड में वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। इस राज्यों में सभी पार्टियां अपनी सरकार बनाने की कवायद में जुटी हुई थीं। इस सभी राज्यों में सबसे ज्यादा जोर उत्तर प्रदेश पर था। क्योंकि आने वाले दिनों में राष्ट्रपति के चुनाव के साथ 2019 में लोकसभा चुनाव भी सामने थे। उत्तर प्रदेश से लोकसभा की 80 सीटें है और विधान सभा की 403 ऐसे में उत्तर प्रदेश का रण जीतने के लिए सभी पार्टियों ने अपना जोर लगा दिया था।
कांग्रेस ने विकास को बनाया मुद्दा
27 सालों से यूपी की राजनीति की चौखट से दूर रही कांग्रेस अब विकास के साथ पूर्व में सत्ता में रह चुकी पार्टियों को यूपी के विकास ना होना का जिम्मेदार बताकर निशाना साथ रही थी। राहुल गांधी की अगुवाई में पहले खाट पंचायत की आगाज हुआ। किसानों के मुद्दों को लेकर राहुल गांधी सामने आए लेकिन सारा हमला केवल मौजूदा केन्द्र सरकार पर ही केन्द्रित रह गया। राहुल ने किसान जागरण को लेकर किसान यात्रा निकाली। 27 साल यूपी बेहाल का नारा दिया। लेकिन जैसे जैसे चुनावी रण का समर दिन करीब आने लगा कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से रोकने के लिए समाजवादी पार्टी से हाथ मिला लिया। पहले तो सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों में काफी ओहा-फोह मचा लेकिन देर सबेर सीटों का बंटवारा हो गया फिर दो युवा राहुल और अखिलेश यूपी की सैर पर निकल लिए नारा बदला गया यूपी को तो साथ पसंद है लेकिन वोटों के लिहाज से यूपी ने ये साथ निकार दिया। इस चुनाव के नतीजों ने दोनों पार्टियों को दहाई में सिमटाकर रख दिया।
भाजपा के लिए विकास और भ्रष्टाचार बने रामबाण
भाजपा ने परिवर्तन यात्राओं को लेकर अपने चुनावी अभियान की शुरूआत की । भाजपा ने मौजूदा सपा सरकार और पूर्वकी बसपा सरकार के साथ पूर्व में केन्द्र की कांग्रेस सरकार के दौरान प्रदेश में चल रहे विकास के कामों को रोक कर वर्ग विशेष जाति विशेष क्षेत्र विशेष की राजनीति करने का आरोप लगाया। भाजपा ने कहा विकास केवल एक जगह तक ही दिखाई देता है। भाजपा ने नारा दिया ना गुण्डा राज ना भ्रष्टाचार अबकी बार भाजपा सरकार किसानों का आक्रोश को भी भाजपा ने इस सभी सरकारों के ऊपर मढ़ दिया। मिलों कारखानों के बंद होने और किसी क्षेत्र में सुविधाओं का अम्बार लगाने को लेकर इन सरकारों को आड़े हाथों लेकर जनता के बीच जमकर इन सरकारों की आलोचना की भारतीय जनता पार्टी 15 सालों बाद दुबारा उत्तर प्रदेश की सत्ता पर क़ाबिज़ होना चाहती थी जनता ने पूर्व की सरकारों से मिली सीखों को ध्यान में रखते हुए इस बार केसरिया रंग से भूरे हुजूम को रंग दिया।
बसपा ने साधा नोटबंदी वोटबंदी को जनता के बीच
बीते साल हुई नोट बंदी को लेकर बसपा केंद्र सरकार पर निशाना साधे हुए थी इसके साथ ही बसपा के निशाने पर राज्य की सरकार भी थी बसपा सुप्रीमो मायावती बार बार इस बात पर ज़ोर दे रही थीं कि केंद्र सरकार की नीतियां जनविरोधी है नोटबंदी वोट बंदी का नारा देकर बहुजन समाजवादी पार्टी मैदान में थी बसपा ने मौजूदा वक़्त में समाजवादी पार्टी की सरकार द्वारा दलितों और पिछड़ों का हो रहा शोषण तो उनका मुख्य मुद्दा था लेकिन इसके साथ ही केंद्र सरकार की नीतियों को लगातार मायावती ग़लत और जन विरोधी बता रही थी उनका कहना था आम जनता से मोदी सरकार को कुछ लेना देना नहीं है मोदी सरकार बड़े उद्योपतियों और पूंजीपतियों के इशारे पर जनविरोधी नीतियों को आम जनता पर थोपी जा रही है इसलिए सरकार की नीतियों का जवाब जनता को वोट बंदी से देना होगा हालाँकि सूबे की जनता ने बसपा को माक़ूल जवाब दिया वोट बंदी तो वोट बंदी और बंदी कर दी की बसपा का हाथी दौड़ में अकेला ही अन्तिम नज़र आया इस चुनाव से बसपा का सोशल इंजीनियरिंग जैसे दलित वोटों और मुस्लिम वोटों का गठन जोड़ मानो खुल गया इस चुनाव में बसपा औंधे मुँह गिर गई करारी हार का सहारा मायावती ने ईवीएम के माथे मढ़ दिया।
अजस्र पीयूष