अलविदा 2018, यह साल राजनीतिक लिहाज से काफी उतार चढ़ाव वाला रहा है। इस में की ऐतिहासिक घटनाएं भी घटी है। मसलन सुप्रीम कोर्ट के चीफ जज के खिलाफ महभियोग, आरबीआई एक्ट की धारा 7 का प्रयोग ,जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस , सीबीआई विवाद , राफेल मुददा, अगस्ता वैस्लैंड आदि हैं। यहां हम इन्हीं के बारे में संक्षेप में जानेंगे।इसी साल केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ भी आविश्वास प्रस्ताव लाया गया।
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मोदी सरकार के खिलाफ भी आविश्वास प्रस्ताव
केंद्र की मोदी सरकार को अपने कार्यकाल में पहली बार अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा। सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। मोदी सरकार को वोटिंग में 325 वोट मिले, विपक्ष में 126 वोट अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में पड़े। मालूम हो कि टीडीपी सांसद की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मंजूर किया था। जिसके बाद चर्चा के लिए दिन तय हुआ था। विपक्ष के लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर 11 घंटों की लंबी बहस चली। अविश्वास प्रस्ताव पर कुल 451 वोट पड़े। इस वोटिंग में विपक्ष के 126 वोट मिले और सरकार को 325 वोट प्राप्त हुए।
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सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस
आजादी के बाद देश में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हलचल मचा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जजों जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रंजन गोगोई ने प्रशासनिक अनियमितताओं के आरोप लगाए। मीडिया से बात करते हुए इन जजों ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है।
राफेल लड़ाकू विमान सौदा
साल 2018 में राफेल का मुद्दा पूरे साल राजनीति में छाया रहा, कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने राफेल के मुद्दे पर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया। मालूम हो कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने एक इंटरव्यू में कह दिया कि भारत ने राफेल डील में अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट पार्टनर बनाने की शर्त रखी गई थी। इससे कांग्रेस को मोदी सरकार के खिलाफ एक मुद्दा मिल गया था। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को राहत दी, उसमें विवाद खड़ा हो गया है।
सीबीआई विवाद
देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में मचा घमासान मोदी सरकार की बड़ी आलोचना का विषय रहा है। गौरतलब है कि डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की लड़ाई खुलेआम हो गई। दोनों ने एक दूसरे पर रिश्वत लेने का आरोप लगा दिया।
मालूम हो कि सरकार ने रातों रात राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया था। मोदी सरकार ने रात 12 बजे नया अंतरिम डायरेक्टर बना दिया। फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
आरबीआई विवाद
सरकार ने सितंबर महीने में पहली बार आरबीआई एक्ट की धारा 7 का प्रयोग किया था। धारा 7 के तहत सरकार आरबीआई से सलाह-मशविरा कर सकती है और उसे निर्देश भी दे सकती है। सलाह-मशविरे के तौर पर सरकार ने तीन पत्र रिजर्व बैंक को भेजे थे। धारा 7 के तहत आरबीआई को निर्देश देने के अधिकार का आजाद भारत में आज तक कभी इस्तेमाल नहीं किया गया था। इसके बाद सरकार और आरबीआई के बीच खीचातानी होती रही और गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि पटेल ने इस्तीफ की वजह निजी बताई है।
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सरकार को केंद्रीय बैंक की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए- रघुराम राजन
पटेल के इस्तीफे पर पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि आरबीआई में जो चल रहा है उस पर सभी भारतीयों को चिंता करनी चाहिए। राजन ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में महंगाई दर में कमी का श्रेय आरबीआई को मिलना चाहिए। सरकार को केंद्रीय बैंक की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए। वर्तमान में आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास हैं।
वर्ष 2018 के अंत में बीजेपी को मिली गढ़ में ही हार
बता दें कि 2018 जाते जाते पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी शिकस्त मिली है। पिछले 15 सालों से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता में काबिज थी। लेकिन अब यहां कांग्रेस ने सत्ता प्राप्त की है। राजस्थान में भी वसुंधरा राजे का राज-पाठ नहीं रहा। हिन्दी पट्टी के इन तीन बड़े राज्यों में बीजेपी की हार 2019 से पहले उसे जख्म देने की तरह है। बीजेपी अब इस जख्म को कैस भर पाएगी यह देखना दिलचस्प होगा।