Breaking News featured दुनिया भारत खबर विशेष

अलविदा 2017: अपने खुद के देश से बेघर हो गए ये लोग, शरणार्थी बनकर जीने को मजबूर

WhatsApp Image 2017 12 27 at 3.13.36 PM अलविदा 2017: अपने खुद के देश से बेघर हो गए ये लोग, शरणार्थी बनकर जीने को मजबूर

नई दिल्ली। साल 2017 में दुनिया में बड़े पैमाने पर उथल-पुथल मची। एक तरफ उत्तर कोरिया-अमेरिका विवाद , तो दूसरी तरफ येरुशलम विवाद। इसी कड़ी में एक विवाद और भी जुड़ा, जिसने दुनियाभर में सुर्खिया बटोरी। हम बात कर रहें है रोहिंग्या मुसलमान के मुद्दे की। रोहिंग्या मुस्लमानों का विवाद न सिर्फ म्यांमार में बल्कि भारत, बांग्लादेश और संयुक्त राष्ट्र में भी काफी चर्चा का विषय रहा। दरअसल  म्यांमार के रखाइन प्रांत में सुरक्षा बलों और रोहिंग्या विद्रोहियों के बीच में हुए संघर्ष का खामियाजा आम रोहिंग्या मुसलमानों को भुगतना पड़ा। इस साल अगस्त में हुए संघर्ष के बाद म्यांमार के सुरक्षा बलों और बौद्धों ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और वहां से रोहिंग्या मुसलमान अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे। इस संघर्ष में लाखों रोहिंग्या मुसलमान अपने घरों से बेघर हो गए और सैकड़ों मौत के आगोश में समा गए।

ताजा आकड़ों पर नजर डाले तो लगभग 6 लाख रोहिंग्या मुसलमान रखाइन से भागकर बांग्लादेश में शरण ले ली। यहीं नहीं इस दौरान म्यांमार और बांग्लादेश की सीमा के बीच में पड़ने वाली नदी को पार करते समय सैकड़ों रोहिंग्या नदी में डूबकर मर गए और कई लोगों को म्यांमार में ही मार दिया गया। इस संघर्ष का खामियाजा सिर्फ बांग्लादेश को ही नहीं अपुति भारत को भी भुगतना पड़ा। भारत में ये मुद्दा काफी छाया रहा।  केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को जोरो-शोरो से उठाते हुए भारत में रह रहे 40 हजार रोहिंग्या मुसलमानों के आतंकवादी घटनाओं में सक्रिया होने के सबूत पेश करते हुए सभी रोहिंग्याओं की पहचान करके भारत से बाहर भेजने का आदेश दिया, जिसकों लेकर भारत में चर्चाओं का मौहल काफी गरम रहा। दरअसल  गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने रोहिंग्या मुसलमानों को देश से निष्कासन करने की बात कही थी तभी से ये मामला गरमा गया था। रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है जिसकी सुनवाई 19 सिंतबर को सुनवाई भी हुई।WhatsApp Image 2017 12 27 at 3.13.36 PM अलविदा 2017: अपने खुद के देश से बेघर हो गए ये लोग, शरणार्थी बनकर जीने को मजबूर

कौन है रोहिंग्या मुसलमान 

रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार के नागरिक हैं जिन्हें म्यांमार अपनाने को तैयार नहीं है। रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय को इस समय दुनिया का सर्वाधिक प्रताड़ित अल्पसंख्यक समुदाय माना जा रहा है। ये मुस्लिम सुन्नी संप्रदाय से हैं और बांग्ला बोलते हैं। म्यांमार में रोहिंग्या की आबादी करीब 10 लाख है और करीब इतनी ही संख्या में रोहिंग्या मुस्लिम भारत, पाकिस्तान, बग्लादेश और अन्य पूर्वी एशियाई देशों में शरणार्थी के रूप में जीवन यापन कर रहे हैं। पिछले 10 सालों में करीब 2 लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों ने म्यांमार को छोड़कर बांग्लादेश, भारत और नेपाल के देशों में पनाह ली है। जिसमें करीब 40 हजार के करीब रोहिंग्या भारत में अवैध तरीके से पनाह लिए हुए हैं।

म्यांमार में करीब 10 लाख रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं और अधिकतर रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहते है। लेकिन म्यांमार ने इन्हें अपना मूल निवासी मानने से इनकार कर दिया है क्योंकि म्यांमार का कहना है कि ये लोग बांग्लादेशी हैं और वहां से भागकर उन्होंने म्यांमार में शरण ली है। रोहिंग्या मुस्लिम कई पीढ़ियों से म्यांमार में रह रहे है लेकिन म्यांमार में अधिकांश आबादी बौद्धों की है जो कभी उनसे घुल मिल नहीं पाए हैं। म्यांमार द्वारा उन्हें हमेशा बांग्लादेश वापस जाने की चेतावनी दी जाती है परंतु बांग्लादेश भी उन्हें अपना नागरिक नहीं मानता। इन्हीं सब के चलते रोहिंग्या मुस्लिमों का कोई स्थिति ठिकाना नहीं बन पाता और वह खानाबदोश की जिंदगी जीने पर मजबूर हैंं, पिछले कुछ समय से म्यांमार में सेना और सुरक्षाबलों के बीच रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर अभियान छिड़ा हुआ है, म्यांमार से रोहिंग्या मुस्लिम्स को भगाया जा रहा है।

भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिम अवैध रूप से रह रहे हैं जो कि भारत की सुरक्षा की दृष्टि से खतरा हो सकते हैं। रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय पर आतंकवादियों से कनेक्शन का आरोप लगता रहता है, इसी वजह से भारत के अलावा अन्य देश भी इन्हें शरण देने को राजी नहीं होते। भारत के सामने 40 हजार रोहि़ग्याओं की रोजी-रोटी से भी बड़ा सवाल देश की सुरक्षा का है। भारत सरकार का यह सोचना लाजमी है क्योंकि एक कौम जो अपने ही देश के द्वारा दुत्कार दी गई हो और उसका रहने व खाने का कोई ठिकाना ना हो, ऐसी आबादी आतंकवादी संगठनों के झांसे में आसानी से आ सकती है। और इस बात के कुछ गुप्त सबूत भी सरकार को मिले हैं, पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन इन्हें अपने चंगुल में लेने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में भारत सरकार भारत में शरण ले चुके 40 हजार के शरणार्थियों को 40 हजार बारूद के ढेर के रूप में देख रही है जो कि भारत के लिए सुरक्षा की दृष्टि से सोचना लाजमी है।

Related posts

एकीकृत ऑनलाइन जंक्शन स्कूल एजुकेशन शगुन का भव्य शुभारम्भ

Trinath Mishra

जिला पंचायत के बाद अब ब्‍लाक प्रमुख पद पर भाजपा की नजर,जल्‍द होगी प्रत्‍याशियों की घोषणा

Shailendra Singh

जम्मू-कश्मीर के मामले अन्य राज्यों में स्थानांतरित हो सकते हैं

bharatkhabar