धर्म

सभी प्रकार के कष्टों को दूर करती हैं मां बगलामुखी

Maa bnglamukhi सभी प्रकार के कष्टों को दूर करती हैं मां बगलामुखी

आज से शरद नवरात्र का आरंभ हो चुका है, हर तरफ मां शक्ति के नौ रुपों की पूजा की जा रही है। मां के कई रुप है, भक्त मां की पूजा, ध्यान और व्रत से इन नौ दिनों में मां को प्रसन्न करने की कोशिश करता है। मां के नौ रुपो के साथ मां का एक रुप मां बगलामुखी के रुप में भी है जो अत्यंत फलदायी और भक्तवत्सल है। मां भगवती बगलामुखी के ध्यान से स्पष्ट हो जाता है कि बगलामुखी अमृतत्व प्राप्ति के मार्ग में आने वाले शत्रु, कलह, तिरस्कार और भय (विष रूपी) को पूर्ण रूप से समाप्त कर देती हैं। भक्त मां की आराधना कर सभी कष्टों से निवारण पा सकते हैं। देवी विरोधियों- शत्रुओं की वाणी एवं बुद्धि को ही कुंठित कर देती है, जिससेशत्रु आपके प्रति षड्यंत्र नहीं कर सकते। बगलामुखी शत्रुओं की प्रगति, उन्नति ही समाप्त कर देती है।

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बगलाशक्ति का मूल सूत्र है ‘अथर्वा प्राण सूत्र’। ये प्राण सूत्र प्रत्येक प्राणी में सुप्त अवस्था में होता है और सिद्धि द्वारा इसे चैतन्य किया जा सकता है। जब यह सूत्र जाग्रत हो जाता है, तो व्यक्ति अपने जीवन में स्तम्भन, वशीकरण और कीलन की शक्ति प्राप्त कर सकता है। ब्रह्मास्त्र की अचूक क्षमता का बल तथा शत्रुओं को सहज ही स्तम्भित कर देने का प्रभाव लिए ही तो अवतरित होती हैं। स्वर्ण आसन पर स्वर्णिम आभा के साथ आसीन, पीत वस्त्रों को धारण किए, मस्तक पर चन्द्रमा को धारण करने वाली त्रिनेत्री देवी बगलामुखी का तो सम्पूर्ण स्वरूप ही मातृमय है। साधक के लिए तो ये देवी मातृमय स्वरूप हैं। दस महाविद्याओं में भी बगलामुखी के बारे में विशेष लिखा गया है और कहा गया है कि यह शिव की त्रि-शक्ति है

मां को प्रसन्न करने के मंत्र- सत्य काली च श्री विद्या कमला भुवनेश्‍वरी। सिद्ध विद्या महेशनि त्रिशक्तिबर्गला शिवे॥ सांख्यायन तंत्र के अनुसार कलौ जागर्ति पीताम्बरा अर्थात् कलियुग के तमाम संकटों के निराकरण में भगवती पीताम्बरा की साधना उत्तम मानी गई है। अतः आधि व्याधि से त्रस्त मानव मां पीताम्बरा की साधना कर अत्यन्त विस्मयोत्पादक अलौकिक सिद्घियों को अर्जित कर अपनी समस्त अभिलाषाओं को पूर्ण कर सकता है।

बगलामुखी महाविद्या दस महाविद्याओं में से एक हैं। इन्हें ब्रह्मास्त्र विद्या, षड्कर्माधार विद्या, स्तम्भिनी विद्या, त्रैलोक्य स्तम्भिनी विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है। माता बगलामुखी साधक के मनोरथों को पूरा करती हैं। जो व्यक्ति मां बगलामुखी की पूजा-उपासना करता है, उसका अहित या अनीष्ट चाहने वालों का शमन स्वतः ही हो जाता है। मां भगवती बगलामुखी की साधना से व्यक्ति स्तंभन, आकर्षण, वशीकरण, विद्वेषण, मारण, उच्चाटन आदि के साथ अपनी मनचाही कामनाओं की पूर्ति करने में समर्थ होता है। शत्रु बाधा से पीड़ित व्यक्ति का चिन्तन, मनन, उसकी दिनचर्या सभी कुछ प्रभावित हो जाता है। वह निर्भयतापूर्वक आचरण नहीं कर सकता, वह मुक्त पक्षी की तरह नील गगन में नहीं उड़ सकता। वह हर पल, हर क्षण इसी चिन्तन में खोया रहता है कि किस प्रकार अपनी इस बाधा को समाप्त करे।

कैसे करें मां की पूजा- मां बगलामुखी की पूजा करने के लिए पहले अपने दिमाग से कुविचारों को निकाल कर स्वयं को मां की भक्ति में लगाएं।पूजन प्रारम्भ करने के पश्‍चात् शांत भाव से पूजन करते रहे, पूजन, मंत्र जप से अपने आपको चौतन्य बनाएं। बगलामुखी महायंत्र की साधना करते समय अपने दोनों हाथों में बगलामुखी पीताम्बरा माला लेकर प्रार्थना मुद्रा में बैठ जाएं तथा शांत मद्धम स्वर में बगलामुखी बीज मंत्र (ॐ ह्लीं ॐ… ॐ ह्लीं ॐ… ॐ ह्लीं ॐ…) का उच्चारण करते रहें। मंत्र उच्चारण के समय अपने नेत्रों को बंद कर लें।

मां की उपासना सभी कार्यों में सफलता प्रदान करती है, परंतु विशेष रूप से युद्ध, विवाद, शास्त्रार्थ, मुकदमे, और प्रतियोगिता में विजय प्राप्त करने, अधिकारी या मालिक को अनुकूल करने, अपने ऊपर हो रहे अकारण अत्याचार से बचने और किसी को सबक सिखाने के लिए बगलामुखी देवी का वैदिक अनुष्ठान सर्वश्रेष्ठ, प्रभावी एवं उपयुक्त होता है।

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