पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार वृद्धि के बाद अब बीते 3 सप्ताह से कीमतों में स्थिरता देखी जा रही है। साथ ही उम्मीद लगाई जा रही है कि आने वाले कुछ दिनों में आम जनता को पेट्रोलियम उत्पाद की कीमतों में भारी गिरावट से राहत मिल सकती है।
इसी कड़ी में भारत सरकार ने कदम उठाते हुए कच्चे तेल की कीमतों को कम करने और तेल उत्पादक देशों पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और चीन से हाथ मिलाया है।
इन सभी देशों ने कच्चे माल के भंडार का एक हिस्सा घरेलू यानी देश के भीतर उपयोग करने के लिए संरक्षित करने का फैसला किया है। यानी कच्चे तेल की बिक्री बाजार से नहीं की जाएगी। वही खास स्थिति के लिए संचित करके रखे गए क्रूड का उपयोग किया जाएगा।
वहीं भारत की ओर से पहली बार मद में 50 लाख बैरल क्रूड जारी किए जा रहे हैं।
उम्मीद की जा रही है कि इससे कच्चे माल की कीमतों में गिरावट दर्ज की जा सकेगी।
वही आंकड़ों की बात करें तो पिछले महीने क्रूड की प्रति बैरल कीमत 86 डॉलर थी। जो अब 79 डॉलर के आसपास पहुँच गई हैं।
वहीं भारत सरकार की ओर से ऐलान करते हुए कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में हाइड्रोकार्बन की कीमत यथा उचित तरीके से स्थिर होनी चाहिए। तेल उत्पादक देश जिस प्रकार मनमाने ढंग से तेल की कीमतें तय करते हैं उसका भारत हमेशा से विरोध करता रहा है। वहीं भारत सरकार के इस ऐलान के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी अपने राजनीतिक भंडार से 5 करोड़ बैरल जारी करने का ऐलान किया है।
वही अमेरिका का कहना है कि इस बार इस मुद्दे पर भारत चीन जापान के साथ विमर्श कर सामूहिक फैसला लिया जाएगा।