तेल कंपनियों ने थोक में डीजल की खरीदी पर 28 रुपए प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी की है। यह कदम पेट्रोल-डीजल पर हो रहे घाटे को कम करने के लिए उठाया गया है।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये बढ़ोतरी सिर्फ थोक खरीदारों जैसे बस ऑपरेटरों और मॉल आदि में उपयोग के लिए खरीदे जाने वाले डीजल पर की गई है। रिटेल प्राइज में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।
तेल कंपनियों के अनुसार लगातार पांचवें महीने पेट्रोल पंपों पर बिक्री बढ़ गई है। इसकी वजह यह है कि सस्ते डीजल के लिए बस ऑपरेटरों और मॉल जैसे थोक खरीदार भी पेट्रोलियम कंपनियों से सीधे टैंकर बुक करने की बजाय पंप से डीजल खरीद रहे हैं। इससे पेट्रोलियम कंपनियों का नुकसान और बढ़ा है। इस नुकसान से निपटने के लिए कंपनियां अपने स्तर पर प्रयास कर रही हैं।
मुंबई में थोक खरीदारों के लिए डीजल की कीमत बढ़कर 122.05 रुपए प्रति लीटर हो गई है। यहां पेट्रोल पंपों पर डीजल 94.14 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। ऐसे में थोक खरीदारों को डीजल के लिए प्रति लीटर 28 रुपए ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं। वहीं दिल्ली में पेट्रोल पपों पर डीजल 86.67 रुपए प्रति लीटर है, जबकि थोक या औद्योगिक ग्राहकों के लिए इसकी कीमत 115 रुपए प्रति लीटर है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अपने फ्यूल डीलर्स को डीजल सप्लाई में 50% कटौती के लिए कहा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कंपनी को इसकी बिक्री पर 10-12 रुपए प्रति लीटर का घाटा हो रहा है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब बने हुए हैं। वहीं तेल कंपनियों ने 3 नवंबर से पेट्रोल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन तब से लेकर अब तक कच्चा तेल 30 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा महंगा हो गया है। इसी के चलते थोक खरीदारों के लिए डीजल महंगा किया गया है।
आपको बता दें कि जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी। लेकिन 19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया।
अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।