कोरोना वायरस के दौरान पैदा हुए आर्थिक संकट की भरपाई के लिए केंद्र सरकार नोट नहीं छापने वाली।जिसकी जानकारी वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में दी।
नोटों को छापने की कोई योजना नहीं
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की कोरोना वायरस के चलते पैदा हुए मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने के लिए नोटों को छापने की कोई योजना नहीं है। बता दें कि कई अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों ने सरकार को सुझाव दिया है कि लड़खड़ाती हुई अर्थव्यवस्था को मजबूती देने, और नौकरियों की रक्षा करने के लिए अधिक नोटों की छपाई का सहारा लिया जाए।
इससे सरकार को बाजार में तरलता बढ़ाने में मदद मिलेगी और आम लोगों के हाथ में पैसा दिया जा सकेगा।
GDP ग्रोथ 14.4% रहने का अनुमान
वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस की दूसरी लहर का असर कम रहने का अनुमान है। क्योंकि इस बार स्थानीय स्तर पर ही रोकथाम के उपाय किए गए थे। और टीकाकरण अभियान भी तेजी से चल रहा है।
इसी के साथ बजट 2021-22 के अनुसार मार्च 2022 में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की नॉमिनल GDP ग्रोथ 14.4% रहने का अनुमान है। वहीं RBI ने भारत की वृद्धि दर अनुमान को घटा दिया था, और केंद्रीय बैंक ने वास्तविक GDP को 9.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है।
संशोधन 2021 विधेयक पेश
वहीं वित्त मंत्री ने लोकसभा में दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता संशोधन 2021 विधेयक पेश किया, जो इससे संबंधित अध्यादेश का स्थान लेगा। इसके तहत पर छोटे और मीडियम इकाई के तहत आने वाले कर्जदार कारोबारियों को पहले से तैयार व्यवस्था के तहत दिवाला निपटान प्रक्रिया की सुविधा मिल गई है।
पेशेवरों के साथ प्रबंधन जैसी सुविधाएं
इसमें अधिकृत प्रतिनिधि की पहचान और चयन, सार्वजनिक घोषणा और संबंधित पक्ष के दावे, कर्जदार और कर्जदाता समिति की बैठक करने, कॉर्पोरेट कर्जदार के साथ विवाद निपटान, पेशेवरों के साथ प्रबंधन जैसी सुविधाएं मुहैया होंगी।