बुंदेलखंड में पानी अनमोल हो गया है पानी को लेकर हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। स्थिति यह है कि अब पानी के लिए दबंगई शुरू हो गई है। दबंगों ने कुए पर कब्जा कर लिया है मामला बरुआसागर का है। आम आदमी को इस कुएं से पानी भरने की इजाजत नहीं है। उन्हें पानी के इंतजाम के लिए ढाई किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है।
बरुआसागर के गांव तिलैथा खुर्द, तिलैथा कला व तेंदौल में पेयजल का भारी संकट व्याप्त है। इन गांवों में बने अधिकांश कुएं सूख चुके हैं। ज्यादातर हैंडपंपों ने भी पानी उगलना बंद कर दिया है। पानी के लिए इन गांवों के लोगों को ढाई किलोमीटर तक चलना पड़ रहा है। हालांकि, इन गांवों के बीच में एक कुआं भी है, जिसमें पानी भी मौजूद है। इस कुएं को पनिया कुआं के नाम से जाना जाता है, लेकिन इस कुएं से आम ग्रामीणों को पानी भरने की इजाजत नहीं है। कुएं पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है। उन्होंने कुएं में पानी खींचने की मोटरें डाल रखी हैं, जिससे वह सुबह व शाम पानी खींच लेते हैं।
मालूम हो कि गांव तेंदौल में प्रवेश करते ही सड़क किनारे बुंदेलखंड पैकेज के तहत वर्ष 2011-12 लघु सिंचाई विभाग द्वारा कुआं खुदवाया गया था। इस कुएं का पानी सूख चुका है। दो-तीन दिन में इस कुएं में जितना पानी इकट्ठा होता है, उसे दबंग मोटर से खींचकर ले जाते हैं। इससे करीब 200 मीटर दूरी पर एक और कुआं बना है, जो पूरी तरह से सूख चुका है। इस गांव की आबादी लगभग डेढ़ हजार है। गांव में दो दर्जन हैंडपंप लगे हुए हैं। इनमें से अधिकांश पानी नहीं दे रहे हैं।