भगवान बुद्ध का पूरा ही जीवन प्रेरणा से भरा हुआ है। इस लिए हर साल बुद्ध जयन्ती यानि की बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।
दुनियाभर में फैले बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक ये प्रमुख त्यौहार है। बुद्ध जयन्ती वैशाख पूर्णिमा को मनाया जाता हैं। पूर्णिमा के दिन ही भगवान गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण समारोह भी मनाया जाता है।
इस दिन अनेक प्रकार के समारोह आयोजित किए जाते हैं। अलग-अलग देशों में वहां के रीति-रिवाजों और संस्कृति के अनुसार समारोह आयोजित होते हैं। हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं। इसलिए हिन्दुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है।
इस बार 7 मई को बुद्ध पुणिमा मनाई जाएगी। बुद्ध पूर्णिमा के दिन यानि कि, 563 ई.पू. में बुद्ध का जन्म लुंबिनी, भारत जो अब नेपाल है, में हुआ था।
इस पूर्णिमा के दिन ही 483 ई. पू. में 80 वर्ष की आयु में, देवरिया जिले के कुशीनगर में निर्वाण प्राप्त किया था।
भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण ये तीनों एक ही दिन वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे।ऐसा किसी अन्य महापुरुष के साथ आज तक नहीं हुआ है। इसलिए बुद्ध दुनिया के सबसे महान महापुरुषों में से एक माने जाते हैं।
बुद्ध पुर्णिमा के दिन क्या-क्या होता है?
इस दिन विश्व भर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनायें करते हैं। इस दिन बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ किया जाता है। घरों में बुद्ध की मूर्ति पर फल-फूल चढ़ाते हैं और दीपक जलाकर पूजा करते हैं। बोधिवृक्ष की भी पूजा की जाती है।
बुद्ध पुर्णिमा के फायदें
कहा जाता है कि, पूर्णिमा के दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है।
दिल्ली स्थित बुद्ध संग्रहालय में इस दिन बुद्ध की अस्थियों को बाहर प्रदर्शित किया जाता है, जिससे कि बौद्ध धर्मावलंबी वहाँ आकर प्रार्थना कर सकें।
कौन थे भगवान गौतम बुद्ध?
बुद्ध का असली नाम सिद्धार्थ था। उनका जन्म नेपाल की तराई के लुम्बिनी वन में ईसा पूर्व कपिलवस्तु के महाराजा शुद्धोदन की धर्मपत्नी महारानी महामाया देवी के घर हुआ था।
सिद्धार्थ ही आगे चलकर भगवान बुद्ध कहलाए। बुद्ध के जन्म, बोध और निर्वाण के संदर्भ में भारतीय पंचांग के वैशाख मास की पूर्णिमा की पवित्रता को बताती है। इस लिए हर साल बुद्ध पुर्णिमा मनाई जाती है।