डूंगरपुर से सादिक अली की रिपोर्ट
डूंगरपुर। राजनीतिक पार्टियों में आए दिन किसी न किसी बात को लेकर सियासत गर्म रहती है। राजनीतिक पार्टियां सत्ता में आने के लिए पहले तो दूसरी पार्टी को अपना समर्थन दें देती हैं। और बाद में पार्टि से अपना वापस लेने की बात करती हैं। ऐसा करना कोई नहीं बात नहीं है। ये सिलसिला कई दशकों पुराना है। जब दो पार्टियों में खलल पड़ जाती है तो अक्सर समर्थन वापस ले लिया जाता है। ऐसा ही राजस्थान में देखने को मिल रहा है, जहां बीटीपी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ वेलाराम घोघरा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आधिकारिक तौर पर प्रदेश कांग्रेस सरकार से समर्थन वापस लेने का एलान किया है। इसके साथ ही उन्होंने राज्यपाल व विधानसभा अध्यक्ष तक लिखित में समर्थन वापसी का पत्र भेजने को कहा।
17 मांगों को लेकर दिया था कांग्रेस को समर्थन-
बता दें कि बीटीपी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ वेलाराम घोघरा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आधिकारिक तौर पर प्रदेश कांग्रेस सरकार से समर्थन वापस लेने का एलान किया। पार्टी स्तर बुधवार शाम तक राज्यपाल व विधानसभा अध्यक्ष तक लिखित में समर्थन वापसी का पत्र भेजने को कहा था। बीटीपी प्रदेश अध्यक्ष घोघरा ने भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों पर जमकर प्रहार किया। कांग्रेस पार्टी जब संकट में आई थी उस समय बिटीपी के दोनों विधायको ने 5 वी अनुसूची के साथ 17 अन्य मांगों को पूरा करने की शर्त पर कांग्रेस सरकार को समर्थन दिया था, लेकिन इन सभी वादों को कांग्रेस सरकार ने अब तक पूरा नहीं किया। बल्कि हमारे समर्थन से अब तक सत्ता पर काबिज़ कांग्रेस पार्टी द्वारा भाजपा से मिली भगत कर जिला प्रमुख चुनाव मे हमारी पार्टी बिटीपी के उम्मीदवार को जिला प्रमुख बनने से रोका गया। बीटीपी प्रदेश अध्यक्ष घोघरा ने यह भी कहा कि पार्टी स्तर पर समर्थन वापसी का निर्णय लिया जा चुका है बीते कल बुधवार की शाम तक राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष तक लिखित में समर्थन वापसी का पत्र भेज दिये जाने का एलान किया ।