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बसपा सुप्रीमों ने अभय चौटाला को बाधीं राखी, सियासी गलियारों में मचा हड़कंम्प

mayavati 2 बसपा सुप्रीमों ने अभय चौटाला को बाधीं राखी, सियासी गलियारों में मचा हड़कंम्प

नई दिल्ली: आपने यह बात तो अकसर सुनी होगी कि भारत की राजनीति में गठबंधन की नीति बड़ी अजीब है जहां दल तो मिल जाते है पर दिल नहीं मिल पाते, लेकिन बसपा प्रमुख मायावती ने इस बात को गलत साबित करने की कोशिश की है। दरअसल मायावती ने हरियाणा के इनेलो नेता अभय चौटाला को राखी बांधकर अपने राजनीतिक रिश्ते को और बेहतर बनाने क प्रयास किया है।

mayavati 2 बसपा सुप्रीमों ने अभय चौटाला को बाधीं राखी, सियासी गलियारों में मचा हड़कंम्प

मायावती से मिलने गए थे चौटाला

अभय चौटाला बीते दिनों राजधानी दिल्ली में बसपा सुप्रीमों मायावती से मिलने पहुंचे थे। जहां उन्हें मायावती ने राखी बांधी। बताया जा रहा है कि अभय चौटाला चौधरी देवी लाल के नाम पर आयोजित होने वाले एक समारोह में शामिल होने के लिए मायावती को निमंत्रण देने पहुंचे थे। इसके बाद वह आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएंगे। दोनों नेताओं के इस रिश्ते पर बीजेपी ने सवाल खड़ा किया है।

सियासी गलियारों में मचा हड़कंप

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने इनेलो नेता अभय चौटाला के हाथ में राखी क्या बांधी कि सियासी गलियारे में हड़कंप मच गया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि मायावती का यह रक्षा सूत्र इनेलो व बसपा गठबंधन को मजबूत करेगा या​ फिर इसका नतीजा यूपी के भाजपा नेता लालजी टंडन जैसा ही रहेगा।

बीजेपी ने ली चुटकी 

केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि जनता यह रिश्ता निभाए या नहीं मगर भाई-बहन को यह रिश्ता जरूर निभाना चाहिए। वहीं बीजेपी नेता ने मायावती के राखी बांधने पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि सामाजिक या सांस्कृतिक मर्यादाओं का नहीं बल्कि स्वार्थ का रिश्ता है। वहीं अभी कांग्रेस इस मामले पर मौन है।

मायावती ने इस कारण रक्षाबंधन से पहले ही बांध दी राखी

वहीं खबरों की मानें तो राखी के साथ ही बसपा और इनेलो के आगामी गठबंधन की शुरुआत हो गई है। जिसमें महज औपचारिकता बची है। कहा जा रहा है रक्षाबंधन के दिन अभय किसी विदेशी यात्रा पर रहेंगे। इसी कारण से उन्होंने पहले ही मायावती के साथ इस खास दिन को मना लिया है। हांलाकि अभय की ओर से कहा गया है कि इसको चुनावी या राजनीतिक रूप ना दिया जाए। कहा जा रहा है कि हरियाणा में दलित मतदाओं की संख्या बड़े रूप में है। ऐसे में मायावती के साथ आने से आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में फायदा मिलेगा।

 

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