लखनऊ/बलिया। कहते हैं कि जब आपके उपर कोई विपत्ति आती है तो खुदा किसी न किसी रूप में आपकी मदद करने जरूर आता है। इसी कहावत को एक बार और चरितार्थ किया है बलिया के रसड़ा विधानसभा से बहुजन समाज पार्टी के विधायक उमाशंकर सिंह ने।
साल भर पहले अपने पिता को खोने वाली एक बेटी के अभिभावक बनकर उसके हाथ पीले किए। शादी में उन्होंने सारी व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी खुद उठाई। साथ ही शादी के दिन से लेकर विदाई के वक्त तक वो उस परिवार के साथ खड़े रहे। जब बेटी विदा हुई उसके बाद वे वहां से अपने घर निकले।
बेटी को दिया वचन निभाया
बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने बताया कि पिछले साल 21 नवंबर को उनके विधानसभा क्षेत्र के ग्रामसभा सरया निवासी हीरामन यादव की कुछ बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उस दिन छठ पूजा का समापन था। जब व्रती महिलाएं अपने परिवार की सुरक्षा की कामना कर रहीं थीं, तभी कुछ बदमाशों ने हीरामन की हत्या कर दहशत फैला दी।
उमाशंकर सिंह ने बताया कि हत्या की सूचना पाकर वो भी मौके पर पहुंचे। वहां का हृदयविदारक दृश्य देखकर उनकी भी आंखें नम हो गईं। उससे भी पीड़ादायक था मृतक की बेटी का रूदन। जिसकी शादी मई में तय की गई थी।
बसपा विधायक के मुताबिक वह बेटी अपने पिता की लाश से चिपककर रो रही थी। वह रोते हुए कह रही थी कि हम तो अनाथ हो गए, अब हमें कौन विदा करेगा। कौन कराएगा शादी। उन्होंने बताया कि वह बेटी अपने मृतक पिता की लाश को छोड़ नहीं रही थी।
उमाशंकर सिंह ने बताया कि बेटी से उन्होंने खुद जाकर बात करते हुए हौसला दिया। साथ ही उससे वादा किया कि वह उसके पिता को तो वापस नहीं ला सकते, लेकिन एक बेटी जैसे विदा होती है वैसे पूरे रीति रिवाज और धूमधाम से हम आपकी शादी करेंगे।
उन्होंने उस बेटी से वादा किया कि जैसे उनके पिता चाहते थे, वैसे ही उसकी शादी करेंगे। बसपा विधायक के इस आश्वासन के बाद उस बेटी ने आगे की कार्रवाई होने दी।
धूमधाम से की शादी
बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने बताया कि पिछले 14 मई को शादी थी। वह खुद जाकर नए दाम्पत्य जीवन में प्रयोग होने वाले सामानों की खरीदारी की। बारातियों के सेवा सत्कार में कोई कमी ना हो, खुद इसकी जिम्मेदारी संभाली। बतौर एक पिता के रूप में बेटी के विवाह को संपन्न कराया।
चहुंओर हो रही प्रशंसा
बसपा विधायक के इस नेक कदम की चहुंओर चर्चा हो रही है। हर कोई तारीफ कर रहा है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि उमाशंकर सिंह हमेशा क्षेत्र के लोगों के दुख दर्द में शामिल होते हैं। हालचाल लेते रहते हैं। कोई भी जरूरत होती है तो साथ खड़े होते हैं। आपदा के वक्त दूसरे क्षेत्रों में भी जाकर वो खुद मदद करते हैं।