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जालौनः इस मीनार में एकसाथ नहीं जा सकते भाई-बहन, बाहर निकलने पर बन जाते है पति-पत्नी

जालौनः इस मीनार में एकसाथ नहीं जा सकते भाई-बहन, बाहर निकलने पर बन जाते है पति-पत्नी

जालौनः हमारे देश में कई धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जहां की मान्यताएं हमें चौंका देती हैं। उत्तर प्रदेश के जालौन स्थित एक जगह ऐसी है जहां कि मान्यता आपको चौंका देगी। रक्षाबंधन के इस पावन त्यौहार पर जालौन के इस जगह से जुड़ी एक कहानी है, जो आपको कुछ पल के लिए सोचने पर मजबूर कर देगी।

वैसे तो हमारा देश संस्कृतिक पहचान के लिए पूरे विश्व में फेमस है, लेकिन यहां कुछ अनसुझे रहस्य आज भी छिपे हुए हैं, जिनके बारे में आपको जानकर हैरानी होगी।

बुंदेलखंड की पवित्र भूमि पर कई तरह की परंपराओं और रीति-रिवाजों का अद्भुट संयोग है। यहा आज भी बहुत से ऐसे अजीबो-गरीब रीति-रिवाज है, जिनका पुराणों के मुताबिक हमें पालन करना आवश्यक होता है। जालौन के कालपी में स्थित एक ऐसी मीनार है, जो लंका मीनार कही जाती है। कालपी की ये मीनार लगभग 210 फीट ऊंची है और करीब 200 साल से ज्यादा पुरानी है। इस मीनार का निर्माण वकील बाबू मथुरा प्रसाद निगम ने करवाया था।

नहीं जा सकते अंदर भाई-बहन

इस मीनार की मान्यता है कि इसके अंदर भाई-बहन एक साथ नहीं सकते हैं। इसका कारण ये हैं कि इस मीनार के ऊपर तक जाने के लिए सात परिक्रमाओं से होकर गुजरना पड़ता है। हिंदू धर्म के मतुबाकि भाई-बहन ये नहीं कर सकते हैं। क्योंकि सात परिक्रमा केवल पति-पत्नी ही ले सकते हैं। सात फेरों का रिश्ता सिर्फ पति-पत्नी का ही होता है। यही कारण है लंका मीनार के ऊपर भाई-बहन का एक साथ जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। मंदिर के ठीक सामने भगवान शिव जी का मंदिर है, जिसमें सैकड़ों मूर्तियां विराजमान हैं।

इतिहासकार अशोक कुमार बताते हैं कि लंका मीनार का इतिहास लगभग 200 वर्ष पुराना है। यह दिल्ली की कुतुब मीनार के बाद की दूसरी ऊंची मीनार है। इसका निर्माण गुड़, दाल, कौड़ी व अन्य सामग्रियों से हुआ है।

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