देहरादून। उत्तराखंड शासन के आपदा प्रबंधन अनुभाग द्वारा केदारनाथ मंदिर तक निर्माणाधीन मार्ग के संरेखण के मध्य आ रहे तीन तीर्थ-पुरोहित आवासों को ध्वस्त किए जाने के उपरांत नए भवनों का निर्माण करने हेतु ब्रिडकुल को कार्यदाई संस्था नामित किया गया है तथा इस संबंध में तत्काल कार्य आरंभ करने के निर्देश दिए गए हैं। विदित है कि पूर्व में केदारनाथ धाम के मार्ग के विकास हेतु कुछ स्थानीय व्यक्तियों से भूमि एवं आवास सरकार द्वारा अधिग्रहित किए गए थे। इस संबंध में कैबिनेट द्वारा प्रभावित व्यक्तियों के लिए मुआवजा एवं नए मकान के निर्माण करवाने का निर्णय लिया गया था। ब्रिडकुल द्वारा नए भवनों के निर्माण हेतु कुल लागत रुपए 242.22 लाख का आगणन प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था।
बता दें कि पुरोहितों के आवासों के निर्माण कार्यों के प्रथम चरण की आंकलित राशि रुपए 14.69 लाख के सापेक्ष रुपए 2.95 लाख का व्यय एस. पी. ए. आर. की बचतों से किया जाएगा। प्रथम चरण के प्रस्तावित कार्य पूर्ण होने का प्रमाण पत्र प्राप्त होने के पश्चात ही दूसरे चरण का आगणन प्रेषित किया जाना होगा। इस स्वीकृति के अंतर्गत किए जा रहे कार्य की गुणवत्ता एवं समय बद्धता के लिए संबंधित जिलाधिकारी, निर्माण एजेंसी तथा संबंधित अधिशासी अभियंता पूर्ण रूप से उत्तरदाई होंगे.
धनराशि का प्रयोग केवल 2013 की आपदा से हुई क्षति के पुनर्निर्माण के लिए किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। कार्य आरंभ करने से पूर्व जिलाधिकारी द्वारा यह सुनिश्चित कर लिया जाएगा कि कार्य हेतु किसी अन्य विभागीय बजट अथवा योजना से कोई धनराशि स्वीकृत नहीं की गई है. ऐसा होने की दशा में पूर्व में व्यय की गई धनराशि का समायोजन करना अनिवार्य होगा। इसके अंतर्गत होने वाले प्रत्येक कार्य की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति एवं व्यय का विवरण जिलाधिकारी के माध्यम से शासन तथा नियोजन विभाग को उपलब्ध कराया जाएगा।
कर्नल कोठियाल द्वारा आईआईएम से इस्तीफा देने के बाद सरकार द्वारा एन. आई. आई. एम. को कार्यदाई संस्था के रूप में अतिरिक्त कार्य नहीं दिए जा रहे हैं जबकि सिंचाई विभाग तथा लोक निर्माण विभाग द्वारा पूर्व में ही लगभग 150 करोड़ रुपए के कार्य केदारनाथ धाम में किए जा रहे हैं जो कि काफी अधिक हैं। अतः पुरोहितों की इन मकानों के निर्माण हेतु शासन द्वारा ब्रेड कुल को कार्यदाई संस्था नामित किया गया है। कार्यदाई संस्था को निर्देशित किया गया है कि प्रदत्त कार्य को उच्च अधिकारियों एवं भूगर्भवेत्ता से भलीभांति निरीक्षण कराने के पश्चात दिए गए निर्देशों के अनुरूप ही कराया जाये।