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शिवसेना ने दी ममता को सलाह, ‘सामना’ में लिखा- सुर में सुर मिलाया होता तो उलटा पड़ जाता दांव

WhatsApp Image 2021 01 23 at 5.52.09 PM 1 शिवसेना ने दी ममता को सलाह, 'सामना' में लिखा- सुर में सुर मिलाया होता तो उलटा पड़ जाता दांव

मुम्बई। पश्चिम बंगाल में जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे है वैसे वैसे राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। पिछले कई दिनों से बंगाल की राजनीति पूरी तरह गरमाई हुई है। बंगाल में सत्ताधारी तृणमूज कांग्रेस और विपक्ष में बीजेपी ऐडी चोटी का जोर लगा रहे है। बीजेपी ममता बनर्जी पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही वहीं ममता भी रह रह कर प्रधानमंत्री पर निशाना साध रहीं हैं। इसी बीच बीजेपी और तृणतमूल के बीच शिव सेना कूद गई है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में ममता बनर्जी का सलाह दी है कि अगर वों कार्यक्रम में जय श्री राम के नारे से न चिड़कर राम के नाम से ही अपना भाषण शुरु करती तो बाजी उल्टी पड़ जाती। गोरतलब है कि शुक्रवार को नेताजी सुभाष बोस की 125वीं जयंती पर दोनों पार्टियों ने शक्ति प्रदर्शन किया। इसी दौरान सरकारी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंच पर उपस्थिति के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपना वक्तव्य देने की लिए खड़ी हुईं तब उपस्थित भीड़ ने ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए। जिसे ममता ने अपना अपमान करार दिया।

 

शिवसेना ने लिखा, ‘हमारा विचार है कि ‘जय श्रीराम’ के नारों से ममता को चिढ़ना नहीं चाहिए। उल्टे उनके सुर में सुर मिलाया होता तो दांव उलटा भी पड़ सकता था। लेकिन हर कोई अपने वोट बैंक को ध्यान में रखता है। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को हराना ही है और पश्चिम बंगाल में भाजपा का विजय ध्वज लहराने की जिद से भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व बंगाल के मैदान में उतरा है। टैगोर की तरह दाढ़ी बढ़ा चुके प्रधानमंत्री मोदी भी कल कोलकाता आए थे।’

 

शिवसेना ने धार्मिक अलगाववाद के लिए ममता को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, ‘जनता का आदेश स्वीकारना ही पड़ता है लेकिन जनता का रुझान अपनी ओर लाने के लिए जिस प्रकार के प्रयास हमारे लोकतंत्र में किए जाते हैं वे असहनीय हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार की तरह पश्चिम बंगाल में भाजपा ने धार्मिक अलगाववाद शुरू किया है। इसके लिए कुछ हद तक ममता बनर्जी जिम्मेदार हैं। अति सेक्युलरवाद और मुस्लिमों के प्रति असीम झुकाव बहुसंख्यक हिंदुओं को खटकता है।’

 

शिवसेना ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, ‘सवाल यह है कि जैसे ईडी आदि की ओर से हर राज्य में जाकर विरोधियों पर छापे मारे जाते हैं, वैसे छापे केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी ने बंगाल के बम कारखानों पर क्यों नहीं मारे? अंतत: राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाना चाहिए। बम के कारखाने कहां हैं और उस पर केंद्र ने क्या कार्रवाई की? सांसदों को संसद में इस बात का जवाब मांगना चाहिए। पश्चिम बंगाल के महामहिम राज्यपाल जगदीप धनखड़ की क्या बात करें? महाराष्ट्र के राजभवन में भाजपाप्रेम में जो कुछ चल रहा है, उससे कहीं ज्यादा कोलकाता राजभवन में चल रहा है।

 

 

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