न्यूयॉर्क। पिछले साल 25 अगस्त को म्यांमार में फैली हिंसा के बाद भागकर पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में शरण लेने वाले रोहिंग्या मुसलमानों की दुर्दशा को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने चिंता जाहिर करते हुए एक खुलासा किया हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार प्रमुख ने म्यांमार में रोहिंग्याओं के साथ हो दुर्व्यवहार को लेकर आगाह करते हुए कहा है कि रोहिंग्या मुसलमानों के संहार और सफाए से धर्म आधारिक संघर्ष भड़क सकता है, जोकि म्यांमार सीमा पर बड़ी ही तेजी के साथ फैल सकता है। संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार के प्रमुख जायद राद अल हुसैन ने कहा कि म्यांमार को गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है और इसका क्षेत्र पर काफी बुरा प्रभाव पड़ने की आशंका है।
उन्होंने कहा कि म्यांमार क रखाइन प्रांत में पिछले साल भड़के संघर्ष के बाद भी म्यांमार का सामाजिक-आर्थिक विकास पर फोकस मजबूत है, लेकिन ये अल्पसंख्यकों के साथ संस्थागत भेदभाव को ढक नहीं सकता। उन्होंने अपना ये बयान पिछले सप्ताह रखाइन में सामुहिक कब्र मिलने की रिपोर्ट के बाद दर्ज करवाया है। गौरतलब है कि म्यांमार की सेना पर रखाइन प्रांत में अल्पसंख्यकों के जातीय सफाए का अभियान चलाने का आरोप लगाहै। पिछले साल अगस्त से करीब सात लाख रोहिंग्या म्यांमार से भागकर बांग्लादेश चले गए हैं। हालांकि म्यांमार सामूहिक कब्र मिलने की रिपोर्ट और बड़े पैमाने पर मानवाधिकार उल्लंघन की बात से इन्कार करता है।