जोधपुर। धर्म परिवर्तन को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा है कि किसी भी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन करने से पहले जिले के कलेक्टर को सूचित करना होगा। इसके बाद जिले का कलेक्टर धर्म परिवर्तन करने वाले की सूचना सात दिन तक अपने नोटिस बोर्ड पर लगाएगा। धर्म परिवर्तन के सात दिन बाद ही धर्म परिवर्तन करने वाला व्यक्ति शादी कर सकता है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक इस प्रक्रिया को अपनाए बैगर किए गए धर्म परिवर्तन और फिर शादी को अमान्य माना जाएगा।
आपको बता दें कि कोर्ट ने ये फैसला जोधपुर की एक युवती के धर्म परिवर्तन कर निकाह कर लेने के मामले में उसके परिजनों की ओर से दायर याचिका का निस्तारण करते हुए सुनाया है। राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास और न्यायाधीश वीरेंद्र माथुर की खंडपीठ ने धर्म परिवर्तन के अहम फैसले को लेकर दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य में धर्म परिवर्तन करने के इच्छुक लोगों को इ्स बारे में जिला कलेक्टर या उपखंड अधिकारी के समक्ष एक आवेदन प्रस्तूत करना होगा। इसके बाद जिला कलेक्टर को धर्म परिवर्तन करने वाले के नाम और पूरी सूचना अपने कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर लगानी होगी। साथ ही धर्म परिवर्तन कराने वाले व्यक्ति की भी जिम्मेदारी तय की गई है।
आदेश के अनुसार उन्हें ये सुनिश्चित करना होगा कि नया धर्म ग्रहण करने वाला किसी दबाव में तो ऐसा नहीं कर रहा है। साथ ही उसके नए धर्म के प्रति पूरी आस्था है या नहीं। धर्म परिवर्तन के सात दिन पश्चात ही कोई महिला या पुरुष शादी या निकाह कर सकेंगे। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा कि इस प्रक्रिया का पालन नहीं करने वालों का विवाह शिकायत किए जाने की स्थिति में अमान्य माना जाएगा। खंडपीठ ने कहा कि धर्म परिवर्तन के बारे में प्रदेश में नया कानून विचाराधीन है। ऐसे में इस कानून के लागू होने तक ये आदेश प्रभावी रहेगा। हाईकोर्ट ने साफ कहा कि धर्म परिवर्तन कर फैयाज के साथ निकाह करने वाली युवती पर ये आदेश लागू नहीं होगा।