नई दिल्ली। जैसा कि सभी जानते हैं कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन को दो महीने से ज्यादा हो चुके हैं। हालात दिनों दिन बिगड़ते ही जा रहे हैं। किसानों का प्रदर्शन आए दिन उग्र देखने को मिल रहा है। जिसके चलते सरकार और प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी है। प्रशासन द्वारा दिल्ली के अंदर आने वाले सभी रास्तों को पूरी तरफ से बंद कर दिया गया है। जिससे किसान दिल्ली के अंदर प्रवेश न कर सकें। इसके साथ ही पुलिस द्वारा टिकरी बाॅर्डर पर सड़क में बड़ी-बड़ी कीलें लगवाई गई है, जिससे किसानों के ट्रैक्टर दिल्ली में न आ सके। इसके साथ ही किसान संयुक्त मोर्चा ने सिंघु बॉर्डर पर सोमवार को बैठक की है, जिसमें 6 फरवरी को 3 घंटे के लिए चक्का जाम का ऐलान किया गया है।
तीन बाॅर्डर पर पुलिस ने की किलेबंदी-
बता दें कि किसान आंदोलन दिनों दिन उग्र होता जा रहा है। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार इन कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती है, जब तक हम यहीं डटे रहेंगे। इसके साथ ही किसान आंदोलन की वजह से सरकार भी परेशान है। क्योंकि गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद पूरे देश में किसान आंदोलन को लेकर अलग माहौल पैदा हो गया था। जिसके बाद सरकार ने किसान आंदोलन खत्म करने की बात कहीं थी। दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए युद्धस्तर पर तैयारी की है। दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस ने कंटीली तार, बैरिकेड और बोल्डर लगाकर किलेबंदी कर दी है। इतना ही नहीं किसानों के धरनास्थल से दिल्ली की तरफ जाने वाले सभी रास्तों को पुलिस ने मजबूती से बंद कर दिया है। गाजीपुर बॉर्डर के फ्लाइओवर के ऊपर और नीचे दोनों रास्तों को किले में बदल दिया गया है।
किसानों ने महापंचायत बुलाने के लिए पारंपरिक तरीके का सहारा-
इसके साथ ही 26 जनवरी की हिंसा और 29 जनवरी को किसानों पर हुए हमले के बाद दिल्ली पुलिस ने आंदोलन की जगह से दिल्ली की तरफ आने वाले रास्ते को रोकने में पूरी ताकत झोंक दी है। इसके साथ ही किसानों का आरोप है कि प्रदर्शनवाली जगहों पर पुलिस ने बिजली, पानी, शौचालय की सुविधा हटा दी है। साथ ही प्रदर्शन वाली जगहों पर इंटरनेट भी बंद कर दिया है। साथ ही किसानों का आरोप है कि प्रशासन ने किसान आंदोलन से जु़ड़े कई ट्विटर अकाउंट भी बंद कर दिए हैं और आंदोलन से जुड़े कई कार्यकर्ता गिरफ्तार और लापता हैं। वहीं सरकार की तरफ से इंटरनेट बंद करने के बाद किसानों ने गांवों में महापंचायत बुलाने के लिए पारंपरिक तरीके और लाउडस्पीकर का सहारा लिया है।