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UP News: पीएम मोदी ने चौरी-चौरा पर जारी किया डाक टिकट, बोले- आग थाने में नहीं, जन-जन के मन में लगी थी

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गोरखपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चौरी-चौरा शताब्दी समारोह की शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस वक्त यह घटना हुई उस वक्त पूरे देश में आजादी की मशाल जल रही थी। आग थाने में नहीं जन-जन के मन में लगी थी। इस मौके पर उन्होंने डाक टिकट भी जारी किया।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि चौरी-चौरा के ऐतिहासिक संग्राम को आज देश में जो स्थान दिया जा रहा है वह प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि अनेक वजहों से अब तक चौरी-चौरा कांड को आगजनी की एक मामूली घटना के रूप में देखा गया। यह घटना किस वजह से हुई यह जानना महत्वपूर्ण है। 100 साल पहले चौरी-चौरा में जो कुछ हुआ वह सिर्फ आगजनी की घटना नहीं थी। उसका पूरे देश में आजादी में लड़ाई लड़ रहे लोगों तक व्यापक संदेश गया था।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि चार फरवरी 1922 को स्वाधीनता संघर्ष में यहां पुलिस और स्थानीय जनता के बीच संघर्ष में पुलिस की गोली से स्वाधीनता के लिए संघर्ष  करने वाले 3 सेनानी शहीद हुए थे। उसके बाद 228  पर ब्रिटिश हुकुमत ने मुकदमा चलाया था जिनमें 225 को सजा दी गई थी। कार्यक्रम के जरिए शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि और उनके परिवारों को सम्मान दिया जाएगा। उन्होंने कार्यक्रम के लिए समय देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया।

शहीदों के परिवारीजनों का हुआ सम्‍मान, वंदेमातरम् गायन का बनाया विश्‍व रिकार्ड 
कार्यक्रम स्थल पर चौरी-चौरा के शहीदों के परिवार वालों का सम्मान किया गया। सरकार इस ऐतिहासिक घटना को यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में भी शामिल करने जा रही है। इससे पहले 10 बजे पूरे प्रदेश में एक साथ, एक समय पर वंदे मातरम् गूंजा। सीएम योगी भी इसमें शा‍मिल रहे। 50 हजार लोगों ने एक साथ वंदे मातरम् गाकर विश्‍व रिकार्ड बनाया। विश्‍व रिकार्ड बनाने का अभियान बुधवार से शुरू हो गया था। गुरुवार सुबह तक डेढ़ लाख से ऊपर लोगों के वीडियो अपलोड करने की जानकारी मिली है। कार्यक्रम स्थल से एक वीडियो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से भी अपलोड किया गया।

यह भी जानें
सरकार ने चौरी चौरा कांड के शहीदों के स्मारक स्थल और संग्राहलय का पुनरूद्धार किया है। यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। इस कांड में 172 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। हालांकि 151 लोग फांसी की सजा से बच गए थे जबकि 19 लोगों को 2 से 11 जुलाई 1923 के दौरान फांसी दे दी गई थी। उन्हीं की याद में एक स्मारक बनाया गया है।

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