- भारत खबर || नई दिल्ली
राजनीतिक दलों के विरोध में कड़े प्रदर्शन के बाद Hathras Gangrape हाथरस गैंगरेप प्रकरण अपना एक नया आकार ले रहा है। देश में चारों और आक्रोश का माहौल व्याप्त है। वहीं राजनीतिक दलों की साजिशों द्वारा के द्वारा जातीय हिंसा भड़काने के काम को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। हर तरफ धरने प्रदर्शन व विरोध प्रदर्शन जारी हैं। प्रशासन के लाख समझाने पर भी सियासी दल के प्रदर्शनकारी किसी भी तरह से बात मानने के लिये तैयार नहीं हैं।
गौरतलब है कि प्रशासन द्वारा हाथरस में भारी प्रशासन बल समेत अन्य कई धाराएं लगाई गई थी। लेकिन इसके बावजूद भी प्रदर्शनकारियों के विद्रोह को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने लोगों को उकसाने की साजिश में व जातीय हिंसा फैलाने के आरोप में राजनेता और पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है। बताते चलें कि राजनेता और पत्रकारों दोनों के खिलाफ अज्ञात रूपी मुकदमा दर्ज कराया गया है। प्रदेश सरकार का कहना है कि राजनेताओं के पत्रकारों ने अधिकांश मात्रा में लोगों को भड़काने का कार्य किया है। गलत अफवाहों के द्वारा जनता को भ्रमित भी किया है।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाथरस के चंद्रपाल थाने में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण समेत लगभग 680 प्रदर्शनकारियों पर पत्रकारों पर धारा 144 के तहत मुकदमा कायम किया गया है। सोशल मीडिया पर गलत सूचना प्रसारण करने के लिए चारों ओर शांति भंग करने के आरोप में या मुकदमा दर्ज किया गया है। इसी के साथ साथ छात्रा से गैंगरेप पीड़िता के परिवार को अफसाने का आरोप भी लगाया गया है।
इन सभी पर हाथरस के चंदप्पा थाने में केस दर्ज हुआ है। हाथरस में दर्ज हुई तीन एफआईआर में भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर समेत कुल 680 लोगों पर धारा 144 के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज हुआ है। ये एफआईआर यूपी में दर्ज हुई 19 प्राथमिक रिपोर्ट्स के बाद हुई है। इनमें से 13 सोशल मीडिया पर गलत सूचनाएं फैलाने और शांति भंग करने की साजिश में दर्ज की गई हैं। इससे पहले रविवार को एक पुलिसकर्मी की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में पीड़िता के परिवार पर दबाव बनाए जाने के आरोप लगाए गए थे।
उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है राजनेताओं द्वारा 50 लाख रुपए देने का भी वादा किया गया था। इसके अलावा पत्रकारों द्वारा पीड़िता के भाई को उकसाया जा रहा है और उनसे यह कहा जा रहा है कि वह प्रदेश सरकार से बोलें कि वह इस कार्यवाही से संतुष्ट नहीं है। इन सभी चीजों को ध्यान में रखकर प्रदेश सरकार ने पत्रकारों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया है।
बताते चलें कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ और पत्रकारों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर में आईपीसी की धारा 124-ए, 153-ए, 153-बी, 195 और 195-ए के तहत मुकदमा कायम किया गया है। इसी के साथ-साथ धारा 144 का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि प्रदेश में जातीय हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश में विदेश द्वारा मंगाए गए पैसों से जातीय हिंसा करने का कार्य किया जा रहा है। धर्म में जातिवाद के नाम पर मतभेद पैदा किए जा रहे हैं। जनता को उकसाया जा रहा है। योगी आदित्यनाथ का कहना है कि जिन लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।