नई दिल्ली। देश में जहां विकास और किसान को विपक्ष मुद्दा बनाकर बीते दिनों विधान सभा चुनाव में उतरा था। अब विपक्ष की दिशा और दशा फिर बदलने लगी। संसद में ना विकास और ना किसान पर सरकार को विपक्ष घेर रहा है। विपक्ष ने सदन में सरकार को राफेल विमान के मुद्दे पर घेरा है। सरकार ने विपक्ष की बहस को लेकर आई चुनौती को स्वीकार करते हुए सदन में अपना पक्ष विपक्ष के सवालों पर रखा।
लोकसभा में बहस के दौरान विपक्ष की ओर से सरकार पर निशान बनाने मैदान में आए कांग्रेस के युवा अध्यक्ष राहुल गांधी की तैयारी अधूरी लगी। उन्होने तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर और उनके मंत्री के बीच हुए बातचीत के टेप रिकॉर्ड का जिक्र किया। लेकिन उस टेप एक संवैधानिक साक्ष्य के तौर पर वे ना तो पेश कर सकते ना उसका पूरा दावा किया।
लेकिन सवालों के जरिए जहां अम्बानी परिवार का नाम लिया वहीं कई मुद्दों पर तैयारी से अछूते दिखाई दी। राहुल बार बार जेसीपी जांच की बात करते रहे लेकिन जब जबाव में केन्द्रीय मंत्री ने बोफोर्स मुद्दे पर सवाल खड़ा करते हुए जबाव दिया तो राहुल समेत विपक्ष हंगामे पर उतर आया।
सदन की गरिमा को कांग्रेस ने तार तार करते हुए कागज के हवाई जहाज बनाकर उड़ाए। हांलाकि सदन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन की तीखी प्रतिक्रिया के बाद सदस्य शांत हुए। लेकिन सदन हंगामे की भेट चढ़ा रहा लेकिन अगर बात की जाए तो राहुल गांधी के सवालों के जबाव पर सदन में सत्ता का जबाव साफ था। कि जब राफेल पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ जबाव दे दिया है। ऐसे में कीमत के बारे में सदन या राजनीतिक पटलों पर सवाल उठाना विपक्ष का बचकाना पन नजर आता है।
अगर राफेल पर जहां देखा जाए तो विपक्ष का कहना है कि कीमतों को बढ़ाकर लिया गया। राफेल के निर्माण सम्बन्धित टेण्डर भारतीय कंपनी को देने के बजाय फ्रांस की कम्पनी को देकर देश के औद्योगिक घराने को लाभ दिलाया गया है। इस मामले में कांग्रेस और राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री के साथ सरकार को घेरने पर लगे हुए हैं। बार बार सरकार और सदन से जेपीसी की जांच करने की बात कह रहे हैं। सरकार का कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया इस मामले में कीमतों को लेकर कोई जांच नहीं होगी फिर सरकार इसी तर्क को सामने ला रही है।
अजस्र पीयूष