नई दिल्ली। नववर्ष के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने एक न्यूज एजेन्सी को दिए ताजा इन्टव्यू में राम मंदिर को लेकर साफ कहा कि हम अध्यादेश नहीं लाएंगे। राम मंदिर का निर्माण संवैधानिक और न्यायिक प्रक्रिया के तहत होगा। लेकिन अब इस बात को लेकर फिर एक बार मुद्दा गरम हो गया है। क्योंकि 1989 में जिस भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र के पहले पन्ने पर डाला था। इसके बाद भाजपा ने राम के नाम पर अपनी राजनीतिक बिसात बिछाई।
जहां भाजपा ने 2 सीटों से 283 का गणित साधा को पीछे राम का नाम था। जनता के बीच भाजपा के वैचारिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विहिप ने राम मंदिर के मुद्दे पर देश भर में संतों को साधकर भाजपा की राजनीतिक गणित को साधा। सत्ता के शीर्ष पर भाजपा को लाने के लिए राम मंदिर के मुद्दे पर पार्टी ने जमकर भुनाया । साल 2014 में मोदी ने अयोध्या में रैली के दौरान भी राम मंदिर के वादे को दोहराया। भाजपा ने 2014 के घोषणा पत्र के 63 पन्ने में राम मंदिर को लेकर जिक्र किया।
4 साल की सरकार हो गई लेकिन भाजपा ने इस मुद्दे को अपना चुनावी मुद्दा बनाए रखा। बीते 2017 के विधानसभा चुनाव में भी राम मंदिर का मुद्दा बना रहा। भाजपा की प्रदेश में सरकार बनी केन्द्र में सरकार है। लेकिन राम मंदिर का मसला कोर्ट में विचाराधीन ही बना रहा है। अयोध्यावासियों की आंखे मंदिर निर्माण की राह देख रही हैं। अगर बात अयोध्या के बाहर की जाए तो राम के नाम में जिन लोगों ने भाजपा को वोट दिया है। अब नववर्ष पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इन्टव्यू के बाद से कोसने लगे हैं।
अगर संत समाज और आम हिन्दूओं की बात छोड़ दें तो विहिप ने भी भाजपा के इस स्टैंड पर नाराजगी व्यक्त की है। विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने साफ तौर पर कहा कि 31 जनवरी को कुम्भ में आयोजित धर्म संसद जिस दिशा में फैसला होगा, उसी दिशा में काम किया जाएगा। अब सवाल है कि क्या भाजपा ने वोटरों को राम के नाम पर ठगा है। क्योंकि भाजपा ने राम मंदिर बनाने का वादा किया था। लेकिन 4 साल की सरकार ने एक ईट तक नहीं रखी गई। यहां तक कि राम मंदिर के निर्माण को लेकर अध्यादेश पर भी प्रधानमंत्री ने साफ और दो टूक शब्दों में कहा कि सरकार अध्यादेश नहीं लाएगी।
भाजपा से अब संत से लेकर हिन्दू समाज तक पूछ रहा है कि राममंदिर के नाम पर ये दोहरी बात भाजपा क्यूं कर रही है। राम मंदिर आदोलन का श्रेय लेकर भाजपा ने इस आंदोलन से अपना चुनावी समर साधा था। आखिर राम मंदिर के नाम भाजपा सरकार बैकफुट पर क्यूं आ गई है।
अजस्र पीयूष