नई दिल्ली। भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ सीमा पर हमेशा तनाव चलते रहता है। जिसके चलते भारत ने अपनी रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए अनेक कदम उठाए है। जिसके चलते डीआडीओं ने एक स्वदेशी मशीन पिस्टल को बनाया है। इसके साथ ही आज थलसेना के स्थापना दिवस पर राजधानी दिल्ली में सेना ने आर्टिफिशियल टेकनोलोजी के जरिए स्वार्म-ड्रोन का सफल परीक्षण कर दिखाया। जिसके चलते भारतीय सेना अब कमीकाज़े ड्रोन-स्ट्राइक के लिए पूरी तरह से तैयारी में जुट गई है। इस दौरान थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे नें आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी और ड्रोन टेक्नोलॉजी को युद्धक-क्षमता का हिस्सा बनाने पर जोर दिया।
50 किलोमीटर घुसकर हमला करने में सक्षम-
बता दें कि भारतीय सेना ने पहली बार ड्रोन टेकनोलॉजी का सफल परीक्षण किया। इस दौरान 75 ड्रोन्स के साथ दुश्मन की सीमा में घुसकर कमीकाजे-स्ट्राइक करने यानि हमला करने का फायर पावर डेमोंस्ट्रेशन दिखाया गया। जानकारी के अनुसार ये ड्रोन दुश्मन की सीमा मे करीब 50 किलोमीटर घुसकर हमला करने में सक्षम है। इसके साथ ही एलएसी पर चीन के खिलाफ ड्रोन टेक्नोलॉजी को मजबूत करने के लिए ही भारतीय सेना ने एक स्वदेशी कंपनी से 140 करोड़ रूपये का सौदा किया है। हालांकि ये नहीं बताया गया कि इस सौदे में भारतीय सेना को कितने यूएवी मिलने हैं। लेकिन माना जा रहा है कि ये संख्या कई सौ में है। आईडियाफोर्ज नाम की ये कंपनी स्विच टेक्टिकल ड्रोन्स भारतीय सेना को मुहैया कराएगी। इन ‘स्विच’ टेक्टिकल ड्रोन्स का इस्तेमाल पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी की सर्विलांस के लिए किया जाना है।
इस ड्रोन्स से होगी एलएसी की रखवाली-
वहीं महाराष्ट्र की इस स्वेदशी कंपनी का दावा है कि बेहद हल्के ‘स्विच’ ड्रोन्स करीब 4000 मीटर की ऊंचाई तक जाकर 15 किलोमीटर के दायरे की सर्विलांस कर सकते हैं। जिसके चलते अब इन ड्रोन्स से पूर्वी लद्दाख से सटी 826 किलोमीटर लंबी एलएसी की रखवाली ‘स्विच’ ड्रोन्स से की जाएगी। इसके साथ ही थलसेना दिवस पर इस ऑफेनसिव-ड्रोन स्ट्राइक से भारत ने नॉन-कनवेनशन्ल वॉरफेयर यानि गैर-पारंपरिक युद्ध के लिए कमर कस ली है।