नई दिल्ली। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अपनी भारत यात्रा पर रहे हैं। मैक्रों की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच में द्विपक्षीय बातचीत होगी। इसके अलावा हिंद महासागर में चीन की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए भी दोनों देश मिलकर कोई कदम उठा सकते हैं क्योंकि हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी वैश्विक कूटनीति में चर्चा का विषय बनी हुई है। भारत और फ्रांस के बीच राजनीतिक साझेदारी 20 सालों से चली आ रही है, लेकिन हिंद महासागर को लेकर होने वाले समझौता बिल्कुल नए किस्म का होगा जोकि दोनों देशों की नौसेना के लिए एक दूसरे के सैन्य अड्डे के इस्तेमाल का रास्ता खोल सकता है। makron 00000 भारत यात्रा पर आज शाम दिल्ली पहुचेंगे मैक्रों, बीस सालों से राजनीतिक साझेदारी

भारत यात्रा पर मैक्रों अपनी पत्नी बिगिट के साथ पहली बार आ रहे हैं। उनके भव्य स्वागत की तैयारी की जा रही है। पीएम मोदी स्वयं राष्ट्रपति मैक्रों की एक व्यक्तिगत भोज में भी बातचीत होगी। इसके पहले रविवार को इसके पहले रविवार को इंटरनेशनल सोलर एलायंस की पहली बैठक में भी दोनों नेता साथ रहेंगे। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हाल ही में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच गठबंधन बनाने की कोशिश शुरू हुई है। इसको लेकर चीन की तरफ से बेहद तीखी प्रतिक्रिया जताई गई है। भारत और अमेरिका अंदरखाने में यह कोशिश कर रहे हैं कि इस गठबंधन में कुछ योरपीय देशों को भी शामिल किया जाए।

बता दें कि फ्रांस ने भारत को 1998 में तब रणनीतिक साझेदार बनाया था, जब परमाणु परीक्षण की वजह से अधिकतर देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगाया था। सूत्रों के मुताबिक फ्रांस और भारत के बीच नए रणनीतिक रिश्तों का आयाम ज्यादा व्यापक व वैश्विक होगा। फ्रांस भारत को एक अहम वैश्विक शक्ति के तौर पर देखता है। उसी हिसाब से समझौता भी किया जाएगा।मोदी और मैक्रों के बीच बातचीत में रक्षा उपकरणों व युद्धक जहाजों की खरीद का मुद्दा भी अहम रहेगा। मैक्रों के साथ फ्रांस की 50 बड़ी कंपनियों के सीईओ भी आ रहे हैं। इसमें हथियार बनाने वाली कुछ कंपनियों के सीईओ भी शामिल हैं। फ्रांसीसी कंपनी के सहयोग से लगने वाले आणविक ऊर्जा प्लांट को लेकर भी एक समझौता दोनों देशों के बीच होगा।