नई दिल्ली। कोरोना महामारी ने देश को ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है। इस महामारी की वजह से देश की आर्थिक स्थिति पर भारी असर पड़ा है। कोरोना ने अर्थव्यव्स्था की पूरी तरह से कमर तोड़कर रख दी है। इसके साथ ही कोरोना का असर कंपनियों पर पड़ा है। जिसके चलते उनके दिवालिया होने तक की नौबत आ गई है। जिसके चलते सरकार ने संकटग्रस्त कंपनियों को राहत देने के लिए बैंकरप्सी कोड को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के प्रावधानों पर लगी रोक 31 मार्च (2021) तक जारी रहेगी। कंपनियों को कोविड-19 से होने वाली आर्थिक दिक्कतों को देखते हुए यह फैसला किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इन प्रावधानों को लागू करने पर 25 दिसंबर तक रोक लगाई गई थी। अब इस रोक को अगले साल 31 मार्च तक बढ़ाने का फैसला किया गया है।
कंपनियों को दिवालिया प्रक्रिया पर लगी रोक को तीन महीने बढ़ी-
बता दें कि कोविड-19 की वजह से कंपनियों का कर्ज डिफॉल्ट बढ़ गया है, लिहाजा उनकी दिवालिया प्रक्रिया में जाने की आशंका बढ़ गई है। यही वजह है कि सरकार ने इन कंपनियों को राहत देने के लिए बैंकरप्सी कोड को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। सरकार ने इनसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोर्ड यानी IBC के तहत कंपनियों को दिवालिया प्रक्रिया में डालने की प्रक्रिया 25 मार्च को रोक दी थी। देश में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से यह प्रक्रिया बंद कर दी गई थी। आईबीसी के तहत उन कंपनियों को दीवालिया प्रक्रिया में डालने पर रोक लगाई गई थी, जो कर्ज डिफॉल्ट से जूझ रहे हैं। इकनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि आईबीसी के तहत कंपनियों को दिवालिया प्रक्रिया पर लगी रोक को तीन महीने और बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। सरकार इस पर आखिरी फैसला लेगी। 25 मार्च को सरकार आईबीसी के सेक्शन 7, 9 और 10 को एक अध्यादेश के जरिये निलंबित कर दिया था। केयर रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा साल की पहली छमाही में दिवालिया प्रक्रिया में डाली जाने वाली कंपनियों की संख्या 161 थी। जबकि पिछले साल इस अवधि के दौरान उनकी संख्या 889 थी।