बगदाद। इराक में आतंकी संगठन आईएसआईएस के खात्मे के एक साल बाद पहली बार आम चुनाव हो रहे हैं। देश की संसद की 329 सीटों के लिए सात हजार प्रत्याशी मैदान में हैं,जिनमे सबसे प्रचलित नाम 2008 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश पर जूते फेंकने वाले इराकी पत्रकार मंतुजर अल जैदी भी मैदान में है। इराक में नौ महीने की जेल काट चुके जैदी अब सांसद बनकर देश के लिए काम करना चाहते हैं। उन्होंने सरकार में बड़ा पद हासिल करने की भी मंशा जताई है।
जैदी के मुताबिक अगर वे पीएम या राष्ट्रपति बनते हैं तो भारत के साथ संबंध बेहतर करना उनती प्राथमिकता होगी। पीएम मोदी का जिक्र करते हुए जैदी ने कहा कि वे दुनियाभर में काफी लोकप्रिय हैं और उम्मीद है कि वे अपने देश को सफलता की ओर ले जाएंगे। चुनाव लड़ रहे जैदी ने कहा है कि भारत और इराक के बीच में काफी समानताएं है। धार्मिक विश्वास और विरासत के मामले में भी दोनों देश घुले-मिले हुए हैं। इतिहास में दोनों के साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने का जिक्र है।
जैदी ने कहा कि इराक मे कई ऐसे लोग हैं जिनका नाम महात्मा गांधी के नाम पर मिल जाएगा। उन्होंने भारतीयों से महेश भट्ट का नाटक द लास्ट सैल्यूट देखने के लिए भी कहा, जिसमें इमरान जाहिद नाम के अभिनेता ने अल-जैदी का किरदार निभाया है। बता दें कि इराक में 2003 में अमेरिका ने हमला कर सद्दाम हुसैन की सत्ता को खत्म कर दिया था। तब से अब तक इराक में ये चौथे आम चुनाव हैं। जैदी अगर किसी बड़े पद तक पहुंचते हैं तो वे सबसे पहले इराकवासियों पर किए अन्याय के लिए अमेरिका से माफी मांगने के लिए कहेंगे।
जैदी का मानना है कि इराक के हालात के लिए सिर्फ जार्ज बुश जिम्मेदार हैं। उन्होंने इराक पर कब्जा किया और हमारे लोगों को खत्म किया। 2003 में अमेरिका के हमले के बाद इराक में अब तक तीन चुनाव हो चुके हैं। 2005 के बाद 2010 और फिर 2014 में लोगों ने वोटिंग कर इराक की इस्लामिक दवा पार्टी को सत्ता सौंपी। इराक के मौजूदा प्रधानमंत्री हैदर अल-अबादी सितंबर 2014 के बाद से सत्ता में हैं। जिस समय प्रधानमंत्री के तौर पर हैदर अल-अबादी का चुनाव हुआ था।
ठीक उसी दौरान पूरे इराक में आतंकी संगठन आईएसआईएस का कब्जा बढ़ रहा था। एक समय आईएस का इराक की 46 फीसदी जमीन पर प्रभाव था। हालांकि, सरकार के प्रयासों और अमेरिकी, शिया और कुर्दिश सेनाओं की बदौलत अबादी वापस देश के बड़े हिस्से का नियंत्रण पाने और आईएस को खदेड़ने में कामयाब रहे। इराक में शनिवार को होने वाले चुनावों को सीधे तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री नूरी अल-मलिकी और मौजूदा प्रधानमंत्री हैदर अल-अबादी के बीच मुकाबले के तौर पर देखा जा रहा है।
मलिकी 2006 से 2014 तक इराक के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। उन पर सुन्नी मुस्लिमों की अनदेखी करने के आरोप लगते रहे हैं। आईएस के उदय के पीछे भी मलिकी की जन-विरोधी योजनाओं को ही जिम्मेदार माना जाता है। मलिकी के अलावा आईएस को खदेड़ने में अहम भूमिक निभाने वाले फतह गठबंधन के नेता हादी अल-अमीरी इरान के समर्थन के दम पर चुनाव में खड़े हैं। अमीरी को आईएस के खिलाफ लड़ाई में शिया सेना को खड़ा करने का श्रेय भी दिया जाता है।