सरकार को वार्ता का प्रस्ताव भेजने के एक दिन बाद रविवार को आंदोलनकारी किसान संघों ने नए साल के दिन राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान करते हुए जनता से किसानों के संघर्ष का समर्थन करने और तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करने की प्रतिज्ञा लेने का आग्रह किया. विरोध कर रहे किसान संगठनों ने 29 दिसंबर को पटना और तंजावुर में और 30 दिसंबर को मणिपुर और हैदराबाद में विरोध रैलियों की भी योजना बनाई है.
हमें सरकार से नहीं मिला कोई पत्र- किसान
मिली जानकारी के मुताबिक, किसानों का कहना है कि हमें अभी तक सरकार से कोई पत्र नहीं मिला है. शनिवार को अपने पत्र में हमें जो कुछ भी कहना है, हम कृषि मंत्रालय को पहले ही बता चुके हैं. उन्होंने कहा कि हमारे सभी विरोध कार्यक्रम निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार जारी रहेंगे.
40 किसान संघों के समूह ने शनिवार को संयुक्त रूप से 29 दिसंबर को वार्ता की तारीख के रूप में प्रस्तावित किया बशर्ते चर्चा के एजेंडे में तीन कृषि कानूनों और उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने के तंत्र को निरस्त करने के तौर-तरीके शामिल हैं.
मांगें पूरी नहीं हुई तो आंदोलन होगा और तेज
इस बीच हरियाणा-राजस्थान सीमा पर चल रहे विरोध प्रदर्शन में महाराष्ट्र के और भी किसान शामिल हुए. इस बीच बातचीत के लिए किसानों के प्रस्ताव पर फैसला करने के लिए आज केंद्र सरकार की अहम बैठक होनी है. किसानों ने 29 दिसंबर को सरकार के साथ सातवें दौर की बैठक का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन इस शर्त के साथ कि बैठक में सबसे पहले तीनों कानून रद्द करने की प्रक्रिया पर चर्चा हो. किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो आंदोलन और भी तेज होगा.