Breaking News featured देश भारत खबर विशेष राजस्थान

जहरीला पदार्थ खाने से दर्जनभर मोरों की मौत, ग्रामीणों ने की पशु अस्पताल में चिकित्सक लगाने की मांग

fc7e227f ea5c 480c 86b8 0a53d0220513 जहरीला पदार्थ खाने से दर्जनभर मोरों की मौत, ग्रामीणों ने की पशु अस्पताल में चिकित्सक लगाने की मांग

बहरोड़ से संदीप कुमार शर्मा की रिपोर्ट

बहरोड़। उपखण्ड के गण्डाला में पशु अस्पताल के पास किसी जहरीले पदार्थ खाने से आधा दर्जन से अधिक मोरों की मौत का मामला सामने आया है। रविवार को युवक धर्मवीर और विनोद यादव व अन्य युवकों ने दो मोरों को पशु अस्पताल परिसर में नशे की हालत में लुढकते हुए देखा तो उनको पकड़कर दाना-पानी खिलानें की कोशिश की लेकिन मोरों ने छुआ तक नहीं। गण्डाला पशु चिकित्सालय में वर्षो से चिकित्सक नहीं होने के चलते जागरूक युवाओं ने घटना की जानकारी तुरंत प्रभाव से बहरोड़ एसडीएम संतोष कुमार मीणा तक पहुंचाई। जिनके ओदशानुसार देर सायं पशु चिकित्सक दिलेर सिंह और पशुधन सहायक पवन कुमार ने गण्डाला पशु अस्पताल में पहुंचकर नशे की हालत में जीवित बच रहे दोनों मोरों को उपचार दिया और सुरक्षा की दृष्टि से अस्पताल के एक कमरे में रखा गया।

दो दिन में आधा दर्जन से अधिक मोरों की मौत-

ग्रामीण धर्मवीर और विनोद यादव ने बताया कि पिछले दो दिन से देखा जा रहा है कि मोर पेड़ पर बैठे रहते हैं और अचानक से जमीन में गिर कर मर जाते हैं। दो दिन में आधा दर्जन से अधिक मोर मर चुके हैं। जिनको वो गड्डा खोदकर दबा चुके हैं। पशु चिकित्सक डा. दिलेर यादव ने बताया कि जीवित अवस्था में इन दोनों मोरों की हालत देखकर प्रथम दृष्टया पोईजनिंग का मामला लगता है। क्योंकि अगर पक्षियों में किसी प्रकार का रोग फैलता तो सभी जगह पक्षी मरते लेकिन यहीं मोर मरने की सूचना मिली है। मोरों की मौत ऐसे किसीं किट नाशक दवाइयों से उपचारित बीज चुग लेने या अन्य किसी कीटनाशक के खाने से हो सकती है। कभी-कभी देखा जाता है कि घरों में पुराना या लगा हुआ नाज पक्षियों को डाल दिया जाता है जिसमें एफ्लाटोक्सी प्रोसिस हो जाता है। ऐसा खेती की बीजाई के वक्त अमूमन होता है। बीजाई के समय बचे हुए दवाईयों से उपचारित बीजों को खुले स्थानों पर रख दिया जात है। मोर एक झुण्ड में रहने वाला पक्षी है। ये उनको चुग लेते हैं और मौत का शिकार बन जाते हैं। इसलिए सभी लोगों से आह्वान किया कि जीवों के हित में हमारा फर्ज बनता है कि उपचारित बीज को एहतियातन सुरक्षित रखना चाहिए और खाली डिब्बों व थैलियों को नष्ट कर देने चाहिए तथा फंगस अनाज को गड्डों में डालकर नष्ट कर दिया जाना चाहिए।

पशु चिकित्सालय में लगभग चार साल से नहीं है चिकित्सक-

गण्डाला गांव में स्थित पशु चिकित्सालय में लगभग चार साल से पशु चिकित्सक नहीं होने से पशुपालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है साथ ही पशुपालकों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं लोगों द्वारा आवारा बनाये गये पशुओं को समय पर ईलाज नहीं मिलने से दम तौड़ देते हैं। ग्रामीण पशुपालकों की सुविधा के लिए खोले गए राजकीय पशु चिकित्सालय में पिछले लगभग चार साल से कोई चिकित्सक नहीं है। चिकित्सक की तैनाती नहीं होने से पशु चिकित्सालय से जुड़े गण्डाला सहित आस-पास के गांवों के पशुपालक भी परेशान हैं। क्षेत्र में बड़ी संख्या में ग्रामीण परिवार पशुपालन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। यहां पशु चिकित्सक की कमी से ग्रामीणों को मजबूरन नीम-हकीमों या निजी चिकित्सकों से बीमार पशुओं का उपचार करवाना पड़ता है। उनको मूह मांगी फीस देनी पड़ती है। जिसके चलते पशुपालकों को आर्थिक हानि भी झेलनी पड़ रहीं है। ग्रामीणों ने सक्षम अधिकारियों से गण्डाला पशु अस्पताल में चिकित्सक लगाने की मांग की है।

Related posts

क्या कहते हैं आपके सितारे? पढ़िए आज का राशिफल

rituraj

कमलनाथ ने वापस दिलाया दिग्विजय सिंह को सरकारी बंगला

mahesh yadav

सीएम नीतीश ने आखिरी समय बदला फैसला, उमेश कुशवाहा बनाए गए बिहार JDU के नए अध्यक्ष

Aman Sharma