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चुनाव से एक दिन पहले कांग्रेस का बड़ा हमला, बीजेपी उम्मीदवार का स्टिंग जारी कर, FIR की मांग

चुनाव से एक दिन पहले कांग्रेस का बड़ा हमला, बीजेपी उम्मीदवार का स्टिंग जारी कर, FIR की मांग

कर्नाटक चुनाव से एक दिन पहले कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर एक बड़ा हमला किया है। कांग्रेस ने चुनाव से एक दिन पहले बीजेपी उम्मीदवार बी. श्रीरामुलु के खिलाफ 2010 में किए गए स्टिंग का वीडियो जारी किया है। कांग्रेस के अनुसार बीजेपी नेता माइनिंग के एक केस में मनमाफिक फैसल् के लिए सुप्रीम कोर्ट के जज को 160 करोड़ रुपए का ऑफर दे रहे हैं।

 

चुनाव से एक दिन पहले कांग्रेस का बड़ा हमला, बीजेपी उम्मीदवार का स्टिंग जारी कर, FIR की मांग

 

शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने इस संदर्भ में चुनाव आयोग से मुलाकात की। भेंट के बाद कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि वीडियो में दिख रहे बीजेपी नेता और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए।

 

सिब्बल ने कहा कि श्रीरामुलु और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। राज्य चुनाव आयोग के सीईओ ने इस वीडियो के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। क्या यही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है? उन्होंने कहा कि श्रीरामुलु जहां से उम्मीदवार हैं, वहां चुनाव नहीं होना चाहिए। उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

 

इस वीडियो में श्रीरामुलु को कथित बिचौलिया से बात करते हुए देखा जा सकता है, जो तत्कालीन चीफ जस्टिस केजी बालाकृष्णन के दामाद श्रीनिजन के साथ ‘रिश्वत की डील’ को लेकर बात कर रहे हैं। ये मामला ओबलापुरम माइनिंग कंपनी का है, जिसके मालिक जनार्दन रेड्डी हैं।

 

कांग्रेस एमएलसी रिजवान अरशद ने कहा, ‘रेड्डी भाइयों और श्रीरामुलु ने ओबलापुरम माइनिंग केस में मनमाफिक फैसला पाने के लिए बहुत रकम दी है और ये वीडियो कथित विवरण को दिखाता है. इसे भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस के दामाद श्रीनिजन ने स्वीकार किया था।’

 

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘उन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के साथ हेर फेर किया और कहा कि उन्हें मुक्त कर दिया गया। ये देखना दुखद है कि हमारी न्याय व्यवस्था के साथ खिलवाड़ हो रहा है। मैं रेड्डी ब्रदर्स के भ्रष्टाचार की कड़ी निंदा करता हूं। अगर ये स्थिति है तो आम नागरिकों का हमारी देश की न्याय व्यवस्था में कोई विश्वास नहीं रहेगा।’

 

बता दें कि 2009 में आंध्र प्रदेश सरकार ने ओबलापुरम माइनिंग कंपनी को कर्नाटक सीमा के पास अनंतपुर में खदानों के संचालन से प्रतिबंधित कर दिया था। तीन महीने बाद फरवरी 2010 में हाईकोर्ट ने इस आदेश को कैंसिल कर दिया, जिसके बाद राज्य सरकार फैसले के खिलाफ शीर्ष कोर्ट चली गई।

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