नई दिल्ली। विश्व में सबसे ज्यादा हथियार आयातक देश बनने को लेकर सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने स्थायी संसदीय समिति के सामने कहा है कि सेना के पास 68 फीसदी हथियार विंटेज श्रेणी के हैं यानी की संग्रहालय में विरासत के रूप में रखने के लायक। इसके अलवा बजट में रक्षा मानको के लिए मौजूदा परियोजनाओं के लिए भी पर्याप्त धन नहीं है। इतना ही नहीं सेना के आधुनिकीकरण के लिए भी बजट में कोई आवंटन नहीं है। उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शरदचंद ने स्थायी संसदीय समिति के समक्ष कहा कि सेना ने अपने आधुनिकरण योजना के तहत मेक इन इंडिया के लिए 25 परियोजनाओं की पहचान की है, लेकिन इनमे से कई को खत्म करना पड़ सकता है क्योंकि इसके लिए सरकार के पास पर्याप्त बजट नहीं है।
शरदचंद ने कहा कि सेना का 68 फीसदी साजोसामान संग्रहालय में विरासत के रूप में रखने के लायक हो गया है। भारत के पास केवल 24 फीसदी हथियार ऐसे हैं,जिनसे युद्ध लड़ा जा सकता है, जबकि सेना के पास केवल 8 फीसदी साजोसामान ऐसा है जो पूरी तरह ‘स्टेट आफ द आर्ट’ यानी आधुनिक है। उन्होंने कहा कि सेना के पास मौजूदा साजोसमान औसत एक तिहाई विंटेज श्रेणी से ज्यादा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2018-19 के बजट ने हमारी उम्मीदों को धराशायी कर दिया है और जो कुछ मिला है वो वास्तव में थोड़ा है। इस साल के बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सेना को आधुनिकरण के लिए 21 हजार 338 करोड़ दिए हैं, जबकि सेना ने 37 हजार 37000 करोड़ रुपये मांगे थे।