चंडीगढ़। चुनाव के समय बिक्रम सिंह मजीठिया को नशे का कारोबारी कहना और फिर एक साल बाद उस मसले पर केजरीवाल के माफी मांगने के कारण पंजाब में आम आदमी पार्टी संघर्ष कर रही है। इसी को लेकर पंजाब का प्रभारी बनने के बाद आधिकारिक दौरे पर आए मनीष सिसोसिया के सामने भी आम आदमी पार्टी के विधायकों ने इस मसले पर अपनी नाराजगी साफतौर पर जाहिर की और अपना विरोध दर्ज करवाया। पार्टी के नए दफ्तर में सिसोसियों की कूटनीति विधायकों की नाराजगी दूर करने में नाकाम रही।
सिसोदिया की प्रेस कॉन्फ्रेंस से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा सहित ज्यादातर विधायकों ने गायब रहकर अपना संदेश दिल्ली पहुंचा दिया। हालांकि कंवर संधु और सांसद भगवंत मान की विदेश में होने की सूचना है, लेकिन उसके बाद भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधायक सर्वजीत कौर और पिरमल सिंह के अलावा कोई नहीं पहुंचा। आपको बता दें कि पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले बने सियासी माहौल ने केजरीवाल को सत्ता में आने के सपने दिखाना शुरू कर दिया था। उसी दौर में पावरगेम में उलझी आप भ्रष्टाचार व टिकटों की बिक्री के आरोपों को लेकर घिर गई।
तत्कालीन पंजाब प्रभारी संजय सिंह, दुर्गेश पाठक पर आप नेताओं ने ही खुलकर करोड़ों रुपये लेकर टिकटों के बंटवारे के आरोप लगाए। पूर्व कन्वीनर सुच्चा सिंह छोटेपुर को पावर गेम के चलते कुर्सी गंवानी पड़ी। नतीजतन छोटेपुर को हटाने के बाद माझा इलाके से गुरप्रीत सिंह वडै़च को कन्वीनर बना दिया गया। इसके बाद केजरीवाल ने संजय सिंह को पीछे करके खुद पार्टी की कमान संभाली और गुजरात चुनाव में ड्यूटी के बहाने आप ने दिल्ली की लीडरशिप को पंजाब से निकाल दिया।इसके बाद पंजाब के फैसले पंजाब की टीम की तरफ से लिए जाने की मांग उठी और आज तक जारी है।
कट्टरपंथियों का साथ और अपनी ही गलत नीतियों के चलते चुनाव के नजदीक आते-आते 80 से 90 सीटें जीतने का सपना देखने वाली आप 20 सीटों में ही सिमट कर रह गई।नवजोत सिंह सिद्धू और परगट सिंह जैसे नेता आप के दरवाजे से आप की नीतियों की आलोचना करके कांग्रेस का घर आबाद करने पहुंच गए। इसका भी खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा। उस समय केजरीवाल इस आरोप में फंसे कि वह पंजाब में ऐसे नेता चाहते हैं जो उनके इशारों पर काम करें।