नई दिल्ली। भारत की सुरक्षा के लिए आतंकवादियों को मुहतोड़ जवाब देने का सेना ने एक नया हथकंड़ा अपनाया है। सेना अब जल्द ही दुश्मन की सीमा में घुसकर लक्ष्य भेदने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल को सुखोई-30 फाइटर जेट से भी दाग सकेगी, जिसके लिए परिक्षण किया जा रहा है। इस ट्रायल को सेना डेडली कॉम्बिनेशन कहा जा रहा है। अगर ये परीक्षण सफल हो जाता है तो इससे भारत की ताकत बढ़ जाएगी और दुश्मनो के दांत खटे करने में सेना को आसानी होगी। इस परीक्षण के बाद ब्रह्मोस की स्पीड साउंड तीन गुना तेज हो जाएगी। बता दें कि फिलहाल इसकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर है, लेकिन परिक्षण सफल होने के बाद इसकी मारक क्षमता 450 किलोमीटर तक हो जाएगी, जिसके लिए काम जारी है
मिली जानकारी के मुताबिक इस परिक्षण के बाद ब्रह्मोस अंडरग्राउंड परमाणु बंकरो, कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर्स और समुद्र के ऊपर उड़ रहे एयरक्राफ्ट्स को दूर से निशाना बनाने में सक्षम हो जाएगी। बीते एक दशक में सेना ने 290 किलोमीटर की रेंज में जमीन पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल को पहले ही अपने बेड़े में शामिल कर लिया है। ब्रह्मोस मिसाइल के लिए 27,150 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए गए हैं। इसके लिए सेना, नेवी और इंडियन एयर फोर्स ने अपनी रुचि दिखाई है।
आपको बता दें कि जून, 2016 में भारत के 34 देशों के संगठन मिसाइल तकनीक नियंत्रक समूह का हिस्सा बनने के बाद अब मिसाइलों की रेंज की सीमा भी खत्म हो चुकी है। ऐसे में अब सशस्त्र बल ब्रह्मोस के 450 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाले वर्जन की टेस्टिंग की तैयारी में हैं। एमटीसीआर की सदस्यता मिलने के बाद भारत 300 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइलों को तैयार करने में सक्षम होगा। फिलहाल ब्रह्मोस मिसाइल के हाइपरसोनिक वर्जन यानि ध्वनि से पांच गुना तेज रफ्तार को तैयार करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं।