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पिंडदान के लिए गया से भी ज्यादा उचित है बदरीनाथ से 5 सौ मीटर दूर का ये स्थान

16 09 2019 pitrgopp 19584514 84925304 पिंडदान के लिए गया से भी ज्यादा उचित है बदरीनाथ से 5 सौ मीटर दूर का ये स्थान

पिंडदान के लिए दुनिया भर के हिंदू गया का रूख करते हैं और ये आज से नहीं हजारों सालों से यही परंपरा है कि पिंडदान के लिए लोगों को प्रसिद्ध गया जाना पड़ता है। पिंडदान के लिए गया को सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। यहां पर सिर्फ देश के ही नहीं ब्लकि पूरी दुनिया के हिंदू पिंडदान के लिए आते हैं। लेकिन शायद लोग ये नहीं जाते हैं कि गया से ज्यादा एक और उचित स्थान है जहां पर वह पिंडदान कर सकते हैं, और ये तीर्थ स्थल गया से 8 गुना ज्यादा उचित और पवित्र है।

बता दें कि प्रसिद्ध चार धाम के बदरीनाथ के पास ब्रह्माकपाल के बारे में कहा जाता है कि अगर यहां आकर स्वर्गीय लोगों का पिंडदान करों तो उनके सारे पाप माफ हो जाते हैं और उनको नर्क लोक से मुक्ति मिल जाती है। इस तीर्थ को पिंडदान के लिए सबसे फलदायी स्थान कहा जाता है।

Capture 6 पिंडदान के लिए गया से भी ज्यादा उचित है बदरीनाथ से 5 सौ मीटर दूर का ये स्थान

भगवान शिव भी आए थे ब्रह्माकपाल

बताया जाता है कि भोलेनाथ को भी यहां मजबूरन आना पड़ा था। क्योंकि जिस वक्त सृष्टि की उत्पत्ति हुई थी तो तीन देवों में से एक ब्रह्मा को भी मां सरस्वती का रूप पसंद आ गया था। जिस पर भोलेनाथ गुस्सा हो गए थे और उन्होंने ब्रह्मा के तीन सरों में से एक सर को त्रिशुल से काट दिया था। लेकिन ब्रह्मा का वो सिर कहीं जाकर नहीं गिरा और त्रिशुर पर चिपक गया। ऐसा इस लिए हुआ था क्योंकि भगवान शिव पर ब्रह्मा की हत्या का पाप लग गया था। वहीं जब भोलेनाथ ब्रह्मा की हत्या के पाप से मुक्त होने धरती लोक पर आए तो वह सर बदरीनाथ से 5 सौ मीटर की दूरी पर जा गिरा। जिसके बाद से इस स्थान को ब्रह्माकपाल के नाम से जाना जाने लगा।

श्रीकृष्ण ने पांडवों को भी भेजा था ब्रह्माकपाल

इस जगह की इतनी मान्यता है कि पांडवों को भी यहां आना पड़ा था। दरअसल महाभारत खत्म होने के बाद श्रीकृष्ण ने पांडवों को अपने पितरों का पिंडदान यहीं करने के निर्देश दिए थे। इसकी वजह थी कि महाभारत के युद्ध में लाखों लोग मारे गए थे। उनमें कुछ लोग ऐसे भी थे जिनका विधि पूर्वक अंतिम संस्कार नहीं हुआ था। तो श्रीकृष्ण ने पांडवों को ब्रह्माकपाल आने को कहा था।
पुराणों में लिखा है बदरीनाथ के पास बसे इस ब्रह्माकपाल स्थान पर जब पिंडदान किया जाता है, और जिन लोगों का पिंडदान होता है उन्हें हमेशा के लिए प्रेत योनी से मुक्ति मिल जाती है, और उनकी आत्मा कभी नहीं भटकती।

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