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पूरी जिंदगी लग गई कंकड़-ईट के घर बनाते-बनाते , अब तरस रहे दो गज जमीन को.. कब्रिस्तान में दो गज जमीन की बुकिंग शुरू..

grav 1 पूरी जिंदगी लग गई कंकड़-ईट के घर बनाते-बनाते , अब तरस रहे दो गज जमीन को.. कब्रिस्तान में दो गज जमीन की बुकिंग शुरू..

ये जानते हुए भी एक दिन मौत आयेगी, फिर भी इंसान पूरी जिंदगी एशो-अराम के लिए घर बनाने में लगा रहता है। जिंदगी भर संघर्ष करता है, लेकिन शायद ही किसी ने सोचा होगा कि, जिंदगी में एक दौर ऐसा भी आयेगी कि, दो गज जीमन के लिए भी इंसान तरसेगा ।

 

grave 2 पूरी जिंदगी लग गई कंकड़-ईट के घर बनाते-बनाते , अब तरस रहे दो गज जमीन को.. कब्रिस्तान में दो गज जमीन की बुकिंग शुरू..

आपको जानकर हैरानी होगी कि, देश के अलग-अलग हिस्सों से ये खबर आ रही है कि, कब्रिस्तान में दफनाने के लिए दो गज जमीन की बुकिंग शुरू हो गई है।

आपको बता दें कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार तेजी से बढ़ रहा है। स्थिति ये हो गई है कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण से हो रहीं मौतों के कारण शव दफनाने के लिए कब्रिस्तान की जमीन भी कम पड़ गई है।

कोरोना से मौत के बाद अंतिम संस्कार में परेशानी आ रही है और स्थानीय लोगों द्वारा विरोध भी किया जा रहा है।
यही वजह है कि गिने-चुने कब्रिस्तानों में ही कोरोना संक्रमितों के शव दफनाने की इजाजत दी गई है।

आईटीओ स्थित जदीद कब्रिस्तान अल इस्लाम कब्रिस्तान के सुपरवाइजर मोहम्मद शमीम ने बताया कि आईसीयू में भर्ती कई मरीजों के परिजन बुकिंग कराने के लिए कब्रिस्तान पहुंच रहे हैं।

हालांकि कब्रिस्तान में ऐसी कोई बुकिंग की व्यवस्था नहीं है। मोहम्मद शमीम ने बताया कि इस कब्रिस्तान में हर दिन लोग बुकिंग कराने पहुंच रहे हैं।

शव दफनाने के लिए घर के लोग भी नहीं पहुंच रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग की टीम ही शव को कब्रिस्तान लेकर जा रही है और उन्हें दफना रही हैं।

कब्रिस्तान पहुंचने पर वह डेथ सर्टिफिकेट जरूर देखते हैं, जिसमें लिखा होता है कि यह शव कोविड पॉजिटिव का है अथवा नहीं। उसी के बाद मृत को दफानाया जा रहा है।

आपको बता दें, कोरोना के चलते परिजनों को दूर रखा जा रहा है। ऐसे में शवों को दफनाने के लिए एक जेसीबी कब्रिस्तान में है, जो प्रति शव छह हजार रुपये शुल्क लेती है। कब्रिस्तान प्रबंधन से इसका कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, मृतक का परिवार गरीब होने पर प्रबंधन की ओर से जेसीबी शुल्क माफ तक कराने की अपील की जाती है।

आज से नहीं बहुत पहले से होती हैं कब्र की बुकिंग
कब्रे की बुकिंग कोरोना के देखते हुए नहीं बल्कि जमीन की कमी को दखते हुए बहुत पहले से ही हो रही हैं।
कब्र की बुकिंग होने पर वहां लगे पत्थर पर उसके मालिक का नाम लिख दिया जाता है और वह जगह आरक्षित हो जाती है।

इसकी बाकायदा रसीद दी जाती है और उस जमीन के इस्तेमाल का मौका आने पर मृत्यु प्रमाणपत्र के साथ वह रसीद भी दिखानी पड़ती है. दिलचस्प बात यह है कि अब कब्रों की बुकिंग में भी धांधली व हेराफेरी के आरोप सामने आने लगे हैं।
कई जगह एक ही प्लाट को कई लोगों को बेचने के मामले भी सामने आए हैं।

कब्रिस्तानों में जगह की बढ़ती कमी की वजह से ज्यादातर मामलों में वहां अब क्रंक्रीट की कब्र बनाने की भी अनुमति नहीं दी जाती।

कई मामलों में तो ऐसी कब्रों को तोड़ कर उस जगह का दोबारा इस्तेमाल किया जा रहा है। क्योंकि अगर ऐसा न किया जाए तो कब्रो से कई जगह भर जाएंगी।

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लेकिन कोरोना को देखते हुए जिस तरह से कब्रों की एडवांस बुकिंग हो रही हैं। वो वाकई में चौकाने वाली हैं।

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