लखनऊ। देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान गूगल ने अपनी तकनीकी के दायरे भी बढ़ाए है। गूगल ने उच्च शिक्षा के अलावा प्राथमिक शिक्षा पर भी फोकस किया है। जी हां, गूगल के इंजीनियर्स द्वारा तैयार किए गए बोलो एप्लीकेशन और दीक्षा एप पर नौनिहाल अब घर में आसानी से हिंदी में कहानी, कविताएं और पजल गेम खेल रहे हैं। गूगल ने ग्रामीण व शहरीय बच्चों को पढ़ाने के मकसद से बोलो एप्लीकेशन और दीक्षा एप को बीते साल लांच किया है। गूगल प्ले स्टोर से पेरेंट्स इस एप्लीकेशन को मोबाइल में डाउनलोड कर बच्चों को घर में स्कूल जैसा माहौल दे रहें हैं।
दरअसल, गुरुग्राम की गूगल कंपनी में कार्यरत रजा हुसैन ने बताया कि गूगल ने इस एप्लीकेशन को प्राइमरी स्कूल के बच्चों को बोल-बोलकर हिंदी और इंग्लिश सीखने के मकसद से बनाया है। बताया कि जिसे 7 मार्च 2019 में लांच किया गया था । पेरेन्ट्स इस एप्लीकेशन को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। कंपनी के मुताबिक, यह एप्लीकेशन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस टेक्स्ट-टू-स्पीच टेक्नोलॉजी से काम करता है। खासतौर पर भारतीय यूजर्स के लिए इस एप्लीकेशन को लांच किया गया था। हालांकि इस एप्लीकेशन को इंस्टॉल करते ही इसमें एक एनिमेशन केरेक्टर दीया आती है। जो बच्चों को कहानियां पढ़ने के लिए प्रेरित करती है। यदि बच्चा किसी भी शब्द का उच्चारण नहीं कर पाता, तो दीया उच्चारण करने में उसकी मदद करती है। इसके अलावा कहानी पूरा करने के लिए बच्चों का मनोबल भी बढ़ाती है।
केस-एक : हिन्दी वर्णमाला बोलना सीखा पंकू
आलमनगर, कनक सिटी के रहने वाले मुरली द्विवेदी ने बताया कि उनका तीन साल का बेटा पंकू काफी शरारती है। देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान बोलो एप के मोबाइल में डाउनलोड किया था। इस एप्लीकेशन की मदद से पंकू हिंन्दी वर्णमाला को बोलना और समझना सीख चुका है। बताया कि इसके अलावा पंकू इस एप्लीकेशन पर बोल-बोलकर गिनती और अंग्रेजी के एल्टाबेट्स देखकर पढ़ना सीख रहा है। इससे घर पर ही स्कूल जैसा माहौल बन गया है।
केस- दो: शरारत छोडकर मोबाइल से पढ़ने लगा श्रेष्ठ
लालकुंआ की रहने वाली पूजा शुक्ला ने बताया कि उनका दो बेटा श्रेष्ठ बहुत शरारती है। सारा दिन टीवी में कार्टून देखता रहता है। अब बोलो एप की मदद से श्रेष्ठ ऑनलाइन पढ़ना सीख रहा है। इसके अलावा इस एप्लीकेशन की मदद से इंग्लिश के अल्फाबेट को बोल-बोलकर लिखने लगा है। बताया कि बोलो एप मददगार है। इसके लिए पेरेंट्स को ट्यूशन की आवश्यकता नहीं होती।
केस-तीन: गेम से रिश्ता तोड़ा, पढ़ाई से नाता जोड़ा
घर पर सारा दिन कार्टून, मोबाइल गेम और वीडियो देखने वाली तीन साल की सुरभि अब बोलो एप की मदद से पढ़ना सीख चुका है । सिटी स्टेशन रोड़ के रहने वाले विनोद शर्मा ने बताया कि घर पर उनकी बेटी दिनभर मोबाइल में गेम खेलती थी। बोलो एप की जानकारी होने के बाद उसे मोबाइल में डाउनलोड कर लिया। बताया कि इस एप्लीकेशन पर सुरभि कहानियां और पजल जोड़ती है। इसकी मदद से बेटी का बौधिक विकास बढ़ा है।
बच्चों की करता है मदद
बताते चलें कि गूगल की यह एप्लीकेशन 05 से 10 साल के बच्चों के लिए काफी मददगार साबित है । स्पीच रिकॉगनिशन और स्पीच-टू-टेक्सट टेक्नोलॉजी पर आधारित इस एप्लीकेशन पर बच्चों को तेज आवाज में कविता-कहानी सुनने को मिलती है। इस एप्लीकेशन की मदद से बच्चे सही तरह से भाषा का उच्चारण कर सकें।
बोलो एप्लीकेशन पर दिया की रही मदद
रज़ा हुसैन बताते है कि बोलो एप हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में उपलब्ध है। नौनिहालों को पढ़ने और बोलने में कोई परेशानी नहीं होती है। बताया कि बच्चे अपनी पंसदीदा भाषा से इस एप्लीकेशन में पढ़ाई कर सकते हैं। अगर नौनिहाल बोलेगें कि गिनती सिखाओ, यह एप्लीकेशन बिना देर किए उन्हे गिनती और पहाड़े सीखाएगा। जबकि इस एप्लीकेशन में दिया नाम का असिस्टेंट दिया गया है। जो बच्चों को पढ़ाने और स्किल्स सीखने में मददगार है।