लखनऊ। यूपी इन दिनों सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर छाया रहता है। टीवी चैनलों पर छाए रहने का कारण कोई प्रदेश में हो अच्छे काम नहीं बल्कि बुरे कामों की वजह से ज्यादा चर्चाओं में रहता है। ऐसा ही एक वाक्या इसी हफ्ते देखने को मिला था। जब एक वकिल अपनी मांगे मनवाने के लिए अपने परिवार के साथ पानी की टंकी पर चढ़ गया था और मांग पूरी न करने पर आत्महत्या करने की धमकी दे रहा था। यह कोई नई बात नहीं जब किसी पर झूठा इल्जाम लगता है या प्रशासन द्वारा उसकी नहीं सुनी जाती है तो वो ऐसा खतरनाक कदम उठाता है। जिसको देखते हुए सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने फैसला लियय है कि पानी की टंकी की सीढ़ियों पर ताला लगाने ओर अनउपयोगी होने पर उन्हें हटाने का फैसला लिया है।
60 घंटों तक टंकी पर रहा था वकिल का परिवार-
बता दें कि इसी हफ्ते प्रयागराज में एक वकिल विजय प्रताप अपनी पत्नी, बेटे, बेटी और दो रिश्तेदारों के साथ बेली इलाके में एक पानी की टंकी पर चढ़ गए और मांग की कि उन पर लगाए गए झूठे आरोपों की सीबीआई जांच हो। साथ ही धमकी भी दी कि अगर उसकी मांगें नहीं मानी गई तो वह अपने और अपने परिवार के सदस्यों पर पेट्रोल डालकर आग लगा लेगा। यह परिवार 60 घंटों तक टंकी पर रहा था। अपनी मांगे मनवाने के लिए पानी की टंकी पर चढ़कर आत्महत्या करने की धमकी देने के खतरों को रोकने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने अब टंकी की सीढ़ियों पर ताला लगाने और अनुपयोगी होने पर सीढ़ियां हटाने का फैसला किया है। प्रयागराज शहर के एडीएम ए.के. कनौजिया ने कहा, “हमारी ओर से अनुनय-विनय करने और उससे वादा करने कि उसे कोई नुकसान नहीं होगा। इसके बाद वे लोग नीचे उतरे। हमने उन्हें संगडील एसडीएम के साथ और सर्कल आफिसर रैंक के अधिकारी के साथ हरदोई भेज दिया है।
मुख्य सचिव ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों को पत्र भेजा-
तीन दिनों तक पूरे प्रशासन की नाक में दम करके रखने वाली इस घटना पर ध्यान देते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आर.के. तिवारी ने इस संबंध में सभी जिला मजिस्ट्रेटों को पत्र भेजा है। इसमें उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि पानी की टंकियों की सीढ़ियों को बंद कर दिया जाए और जो इस्तेमाल नहीं हो रहीं हैं, उन्हें तोड़ दिया जाए। उन्होंने कार्रवाई के बाद रिपोर्ट भी मांगी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “शोले की ये वीरू जैसी घटनाएं आए दिन हो रही हैं। पिछले हफ्ते, शाहजहांपुर में 5 किसान पानी की टंकी पर चढ़ गए और दावा किया कि वे खरीदी केंद्र पर अपनी उपज नहीं बेच पा रहे हैं। पानी की टंकियां प्रशासन को उनकी मांग को मानने के लिए मजबूर करती हैं और पूरे प्रशासन को खूंटी पर रखती हैं। ऐसी घटनाएं रुकनी चाहिए।