नई दिल्ली। गर्मियों का सीजन आते ही हमारे अंदर कई तरह की बीमारियां जन्म ले लगती हैं। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है हमारा शरीर उस गर्मी से लड़ने के लिए खुद को सक्षम बनाने लगता है। तेज गर्मी होने पर हमारा शरीर खतरे को भांपकर उससे लड़ने की कोशिश में लग जाता है। लेकिन टेम्परेचर जब 45 के पार जाने लगता है तो शरीर के अंगों पर इसका नेगेटिव असर पड़ने लगता है। हालांकि प्रीकाशन से इस नेगेटिव असर को कम किया जा सकता है, लेकिन लापरवाही भारी पड़ सकती है।
खासकर 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों, डायबिटीज और हार्ट और रेस्पायटरी डिजीज के पेशेंट्स को गर्मी में खतरा ज्यादा होता है। अगर कुछ सावधानियां बरती जाएं तो इससे होने वाले घातक परिणामों से बचा जा सकता है।
बता दें कि गर्मी बढ़ने पर हमारे शरीर की गर्मी भी बढ़ जाती है। जिसकी वजह से ब्रेन केमिकल्स का संतुलन बिगड़ जाता है। जिससे ब्रेन फंक्शन प्रभावित होते हैं और सोचने की क्षमता पर असर पड़ता है और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।
इतना ही नही गर्मी से लड़ते हुए ब्लड वेसल्स फैल जाती है। जिससे ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को नॉर्मल करने के लिए हार्ट को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में दिल की धड़कने बढ़ जाती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
गर्मियों के मौसम में शरीर के अंदर पानी की कमी होने के कारण किडनी में यूरिया और अमोनिया जैसे टॉक्सिन्स ठहरे रहते हैं। इससे किडनी की प्रॉब्लब हो जाती है। ज्यादा गर्मी के कारण हमारा ब्रेन नर्व्स और स्पाइनल कोर्ड धीमी गति से काम करते है। इससे नर्वस सेंट्रल धीमा हो जाता है और हम सुस्त हो जाते हैं।
पसीने के साथ शरीर का पानी और सोडियम निकलने के कारण मसल्स में ऐंठन अकड़न होने लगती है। तेज धूप के कारण सनबर्न और टैंनिग की परेशानी हो जाती है। ज्यादा पसीना आने से हिट रैशज, खुजली और जलन की प्रॉब्लम होने लगती है।