मुंबई। मुंबई में हुए बीएमसी चुनावों में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। दो निर्दलीय विधयकों का समर्थन मिलने के बाद शिवसेना के पास अब 86 जबकि भाजपा के पास 82 सीटें हैं। बहुमत के जादुई आंकड़े से दोनो ही पार्टियां पीछे हैं ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि शिवसेना कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सकती है, लेकिन इन कयासों से पर्दा उठाते हुए शिवसेना प्रमुख ने साफ कर दिया कि पार्टी ना तो कांग्रेस और ना ही भाजपा से गठबंधन करेगी।
इस बात पर अभी भी रहस्य बना हुआ है कि बीएमसी की सत्ता पर कौन काबिज होगा। हालांकि यह अटकलें जारी हैं कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद ही कांग्रेस अपने पत्ते खोलेगी। कांग्रेस के मुंबई ईकाई के अध्यक्ष संजय निरुपम ने शनिवार को अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि बृहन्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की सत्ता पर काबिज होने में वह शिवसेना की मदद नहीं करेगी। संजय निरुपम के पहले कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और पार्टी के पूर्व नगर प्रमुख गुरुदास कामत ने शनिवार को इस फैसले पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि वह बीएमसी में शिवसेना को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देने या उससे किसी भी तरह के गठजोड़ के विचार के भी खिलाफ हैं। उन्होंने बताया कि इस बारे में अपनी राय से उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी अवगत करा दिया है।
भाजपा-शिवसेना के बीच कड़वाहट के बाद अलग-अलग चुनाव लड़ने के चलते बीएमसी में खंडित जनादेश मिला है। लिहाजा, शिवसेना की अपने उम्मीदवार के लिए मदद करके कांग्रेस भाजपा और शिवसेना के बीच पड़ी खाई को और चौड़ा करना चाहती है। इस सोच के साथ आगे बढ़ने वाले कांग्रेस के रणनीतिकारों का यह भी मानना है कि इस कदम से राज्य में देवेंद्र फड़नवीस की सरकार भी गहरे संकट में पड़ सकती है। चूंकि कांग्रेस के साथ आने पर शिवसेना पर भाजपा से गठबंधन से तोड़ने का भी दबाव डाला जा सकता है।