जहां एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना से परेशान हैं वहीं दूसरी तरफ एक ऐसी खबर सामने आयी है। जिसने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि, कोरोना बड़ी मुसीबत है या फिर ये रक्त की धांधली। जी हां आप सही पढ़ रहे हैं।
कोरोना नाम की मुसीबत से लड़ने के लिए पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची हुई है। वहीं दूसरी तरफ इंसान की एक नई करतूत सामने आयी है। जिसमें वो रक्त की धांधली करके पैसा कमा रहा है।
ऑस्ट्रेलिया की नेशनल यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में खून की धांधली का खुलासा किया गया है। इतनी ही कोरोना से जुड़ी हुए सामान भी ऊंचे दामो में मार्केट में बेचें जा रहे हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि, दुनियाभर में कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टर्स के जरिए पीपीई और अन्य सामान इस्तेमाल किए जा रहे हैं। उन्हें अब ऊंचे दामों में दुनिया के कई देशों में बेंचा जा रहा है।
प्रमुख रिसर्चर रोड ब्रॉडहर्स्ट ने कहा है कि महामारी के वक्त कुछ लोग आपराधिक तरीके से कमाई की कोशिश कर रहे हैं। आने वाले दिनों में ये बढ़ सकता है। इसलिए कड़ी मॉनिटरिंग की जरूरत है ताकि इसे बंद किया जा सके।
रोड ब्रॉडहर्स्ट ने कहा- ‘हमने पाया कि असुरक्षित वैक्सीन और एंटीवायरल दवाइयां भी डार्कनेट पर लोगों को बेची जा रही हैं। भारी मात्रा में पीपीई की भी बिक्री हो रही है क्योंकि बाजार में इसकी कमी बनी हुई है।
आपको बता दें, कोरोना पीड़ितों के रक्त की धांधली इसलिए की जा रही है क्योंकि प्लाज्मा के जरिए अन्य मरीजों के इलाज से जुड़ी कुछ रिपोर्टें सामने आई हैं।
लेकिन प्लाज्मा थेरेपी के खतरे भी हैं और इससे लोगों की जान भी जा सकती है। फिलहाल डॉक्टर प्रयोग के तौर पर कुछ खास परिस्थिति में ही इस थेरेपी को आजमा रहे हैं।
इसलिए रक्त की धांधली बढ़ने लगी है। अगर वक्त रहते ऐसे लोगों को रोका न गया तो देश ही नहीं दुनिया में एक अलग तरह की मुसीबत पैदा होगी। जिससे निबटना कोरोना से भी मुश्किल होगा।
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कोरोना महामारी के चलते पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई है। ऐसे में कोरोना पीड़ितो के रक्त को ऊंचे दामों में बेचना एक नई तरह की मुसीहत को पैदा करेगा और ऐसा कब तक होता रहेगा किसी को नहीं पता। क्योंकि कोरोना की कोई दवाई नहीं बनी है।