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मेरी रग-रग में समाये हुए हैं भाजपा और संघ के संस्कार : कल्याण सिंह

मेरा शव भाजपा के ही झंडे में लिपट कर जायेगा

Brij Nandan

लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के संस्कार मेरी रग-रग में समाए हुए हैं। इसलिए मेरी इच्छा है कि जीवन भर मैं भाजपा में रहूँ और जब जीवन का अंत होने को हो तब मेरी इच्छा है कि मेरा शव भी भारतीय जनता पार्टी के झण्डे में लिपट कर शमशान भूमि की तरफ जाये। यह शब्द पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के हैं। कल्याण सिंह का यह वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह राजनीति में आने से पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता थे। संघ के वरिष्ठ प्रचारक जो उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक भी रहे उन्होंने कल्याण सिंह को स्वयंसेवक बनाया था। कल्याण सिंह ने स्वयं कहा है कि एक दिन मैं शाम को गन्ने के खेत पर था तब संघ के प्रचारक आये मुझे अलीगढ़ चलने को कहा। इसके बाद वह जनसंघ के संगठन मंत्री बनकर काम करने लगे। 1989 के आसपास जब उत्तर प्रदेश में भाजपा का ग्राफ बढ़ा तो प्रदेश की राजनीति के केन्द्र में कल्याण सिंह ही थे। उस समय प्रदेश में कल्याण और कलराज की जोड़ी प्रसिद्ध थी। जीवन के आखिरी दो दशक कल्याण सिंह के जीवन के काफी उथल पुथल बीते। उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की साजिश रची गयी।

मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद वह केन्द्र की राजनीति में आने को राजी नहीं हुए। उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली। 2002 के विधानसभा चुनाव में प्रदेशभर में अपने प्रत्याशी खड़े किया। इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा। 2003 में वह सपा सरकार में शामिल हुए लेकिन 2004 में लोकसभा चुनाव के दौरान सपा से किनारा कर लिया और भाजपा में आये। इसके बाद 2007 का यूपी विधानसभा चुनाव कल्याण सिंह के नेतृत्व में लड़ा गया। उन्होंने 2007 का विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत अयोध्या यात्रा से की थी। इसके बाद 2009 में फिर से सपा के खेमे में चले गये। इसके बाद 2013 में फिर से भाजपा में आये और भाषण देते समय भावुक हो गये। कल्याण सिंह ने भाषण देते हुए कहा था कि ‘‘ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के संस्कार मेरी रग-रग में समाए हुए हैं। इसलिए मेरी इच्छा है कि जीवन भर मैं भाजपा में रहूँ और जब जीवन का अंत होने को हो तब मेरी इच्छा है कि मेरा शव भी भारतीय जनता पार्टी के झण्डे में लिपट कर शमशान भूमि की तरफ जाये। यह कहते हुए कल्याण सिंह का गला रूंध गया था। कल्याण सिंह को भावुक होते देख कार्यकर्ताओं ने नारे लगाने शुरू कर दिये थे।

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