नई दिल्ली। चुनाव के तारीखों की घोषणा के बाद से लगातार विपक्षी दल बजट सत्र को चुनाव के बाद पेश करने की मांग करता रहा है, इसी सिलसिले को लेकर विपक्ष के बड़े नेताओं ने चुनाव आयोग से इस बारे में अपील की है कि केंद्र सरकार चुनाव के तुरंत पहले बजट पेश कर जनता को लुभाने का प्रयास कर सकता है जिससे चुनाव की निष्पक्षता पर फर्क पड़ सकता है, इसलिए बजट को पेश करने की तारीख में बदलाव किया जाए।
विपक्षी दलों के चुनावों से पहले बजट पेश किये जाने के विरोध के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कदम का बचाव किया और कहा कि जब वे दावा कर रहे हैं कि नोटबंदी अलोकप्रिय फैसला है तो फिर वे डर क्यों रहे हैं। जेटली ने यहां संवाददाताओं से कहा, ये वे राजनीतिक दल हैं जो कहते हैं कि नोटबंदी की लोकप्रियता काफी कम है। ऐसे में आखिर वे क्यों बजट से डर रहे हैं। उत्तर प्रदेश समेत राज्यों में चुनावों के बाद मार्च 2012 में बजट पेश किये जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, यह कोई परंपरा नहीं है जिसका हर समय पालन किया जाए।
जेटली ने कहा, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अंतरिम बजट पेश किया जाता है। किसी ने उसे नहीं रोका। यहां तक कि 2014 में बजट आम चुनाव से ठीक कुछ दिन पहले पेश किया गया। यह संवैधानिक आवश्यकता है। सरकार ने वित्त वर्ष के पहले दिन से कल्याणकारी तथा अन्य योजनाओं पर खर्च शुरू करने के इरादे से लंबे समय से फरवरी के अंत में बजट पेश किये जाने की परंपरा को बदली है। सरकार ने 31 जनवरी को संसद का बजट सत्र बुलाने का फैसला किया और अगले दिन एक फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा।