पटना। रालोसपा के बिहार बंद को जनता का समर्थन नहीं मिला, इसलिए हताशा में आकर तेल पिलायी लाठियों का इस्तेमाल कर जगह-जगह उत्पात किया गया। छोटे दुकानदारों-व्यवसायियों से मारपीट की गई। हाजीपुर में बीमार बच्चे को इलाज के लिए ले जाने वाले वाहन को रोककर ड्राइवर को पीटा गया। रालोसपा प्रमुख पर जानलेवा हमले की कहानी इतनी खोखली थी कि पीड़ित को एक दिन में ही अस्पताल से छुट्टी मिल गई। बंद एक प्री-इलेक्शन स्टंट था।
बता दें कि जब सारधा चिटफंड में गरीब आदमी का पैसा डूबा है और सीबीआई के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जांच करते हुए बंगाल के पुलिस आयुक्त आवास की तलाशी लेने पहुंचे थे, तब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी किसको बचाने के लिए धरना पर बैठ गईं? गरीबों से हमदर्दी का दिखावा करने वाले लालू प्रसाद बतायें क्या गरीबों का पैसा उन्हें वापस नहीं दिलाया जाना चाहिए? अगर गरीब को लूटने वालों के राज छिपाने वाला एक राज्य का पुलिस आयुक्त और एक सीएम हो, तो क्या कानून उन बड़े लोगों पर लागू नहीं होना चाहिए?
वहीं स्वतंत्र भारत में पहली बार घोटाले की जांच करने वाली केंद्रीय टीम को ही हिरासत में लेकर संघात्मक व्यवस्था को चुनौती दी गई और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन रोकने की कोशिश कर ममता बनर्जी ने संविधान का अपमान किया। क्या तेजस्वी यादव कोलकाता में भी संविधान बचाओ यात्रा निकालेंगे?