कोलकाता। देश में जैसे ही चुनाव नजदीक आते हैं तो राजनीतिक पार्टियों की हलचलें तेज हो जाती है। सत्ता में आने के लिए राजनीतिक पार्टियों द्वारा अलग-अलग हथकंडे अपनाए जाते हैं। जिनके द्वारा मतदाताओं को अपनी ओर आक्रषित किया जा सके। इसके साथ ही राजनीतिक पार्टियों का एक-दूसरे पर निशाने साधने का सिलसिला भी इसी दौरान शुरू होता है। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पश्चिम बंगाल में अगले साल 2021 में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं। जिसके चलते राजनीतिक पार्टियों ने अभी से वोटरों को लुभाने को काम शुरू कर दिया। इसी बीच भाजपा ने विदेशों में रह रहे बंगाली लोगों को आक्रषित करने का काम शुरू कर दिया। रअसल बीजेपी ने विदेश में रहने वाले भारतीयों को अपने पाले में लिया और पूरी दुनिया में ओपिनियन बिल्डिंग का काम बखूबी किया।
भारतीय राजनीति में एनआरआई लोगों की अहम भूमिका-
बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय राजनीति में ब्रांड बिल्डिंग के काम के लिए एनआरआई लोगों को भी अहम भूमिका निभाते हुए देखा गया था। फर्स्ट वर्ल्ड देशों में रहने वाले ये लोग भारत के वोटर्स तो नही थे लेकिन इन्होंने भारतीय वोटरों को प्रभावित करने का काम बखूबी किया था। ब्रांड मोदी कैसे बना इस प्रक्रिया में एनआरआई लोगों का भी काफी योगदान रहा है। बता दें कि इससे पहले किसी भी भारतीय चुनाव में इन लोगों का योगदान शायद ही इतना देखा गया था। राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि विदेश में रहने वाले लोगो की राय ने भारत मे भी लोगों को खूब प्रभावित किया था। इस तरह अलग अलग ऑनलाइन फोरम बने , ईमेल , व्हाट्सएप, गूगल हैंगआउट के ज़रिए विदेश में रहने वाले बीजेपी के समर्थक और उनके जानने वालो लोगों ने भारतीय वोटरों से खूब बात की और चुनावी कैंपेन चलाया जिसका सीधे-सीधे फायदा भाजपा को मिला था और वे बड़े मार्जिन से चुनाव में जीत दर्ज कर पाए।
विदेश में रहने वाले लोगों के द्वारा बंगाल के बंगाली प्रभावित नही होंगे- तृणमूल कांग्रेस
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव की ये स्ट्रेटेजी इसके बाद किसी राज्य के चुनाव से पहले नही देखी गई थी। लेकिन इस बार पश्चिम बंगाल में 2021 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने बंगाली एनआरआई लोगों के साथ संपर्क करने का काम शुरू कर दिया है। इस मकसद के तहत एक प्रोजेक्ट भी शुरू किया गया है, जिसका नाम है। एनआरआई ‘फ़ॉर सोनार बंगला’। इस प्रोजेक्ट में 4 सदस्य को शामिल किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत बीजेपी को समर्थन करने वाले विदेश में रहने वाले बंगाली वोटरों को चिन्हित किये जाने का काम शुरू हो चुका है और इन लोगों के ज़रिए बंगाल में “ओपिनियन बिल्डिंग “ का काम शुरू किया जाएगा। माना जाता है कि बंगाली वोटर्स काफी संस्कृति प्रिय है और समाज के जानने वाले लोग जब कोई सलाह उन्हें देते है तो ये उनका सम्मान और आदर करते हैं। इस कारण ही बीजेपी ने एनआरआई बंगालियों से संपर्क करने का काम शुरू कर दिया है। वहीं तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि, विदेश में रहने वाले लोगों के द्वारा बंगाल के बंगाली प्रभावित नही होंगे और वे यहां के बंगालियों के ऊपर ही भरोसा कर रहे हैं. 2021 चुनाव में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी का ये प्रोजेक्ट औंधे मुंह गिरेगा।