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इन चौदह चमत्कारी कारणों की वजह से बीजेपी ने की थी एक दशक बाद सत्ता में वापसी

पीएम मोदी

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी के चमत्कारिक नेतृत्व की बदौलत बीजेपी एक दशक बाद सत्ता में वापसी करने में सफल हुई थी और ऐसा चमत्कार होने के कई कारण रहें। जिनकी वजह से बीजेपी एक दशक के बाद सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही। इस कामयाबी में नरेंद्र मोदी की मुख्य भूमिका रही और कारण ये रहे…

पीएम मोदी
पीएम मोदी

1- मोदी लहरः टी स्टाल्स से लेकर टीवी सेट्स तक हर जगह मोदी, मोदी, मोदी लिखा हुआ था। गुजरात के डिवेलमेंट का ‘मैजिक मॉडल’ बाकी चुनावी मुद्दों पर भारी पड़ गया। उन्हें एक ऐसे काबिल प्रशासक के तौर पर प्रॉजेक्ट किया गया जिनकी नीतियों ने गुजरात में डिवेलपमेंट किया और समृद्धि लाई और जो वहीं काम देश के लिए भी कर सकते हैं।

2- मोदी का जादूः बीजेपी में एक व्यक्ति (मोदी) को पार्टी, सीनियर्स और लोकल कैंडिडेट्स से भी ज्यादा तवज्जो दी गई। मोदी ने लोगों से कहा कि अगर वह उन्हें पीएम के रूप में देखना चाहते हैं तो बीजेपी को वोट दें। मोदी जनता को एक ऐसे जादूगर नजर आए जो भारत को समृद्धि को और ले जाएगा और सारी समस्याओं को खत्म कर देगा। स्थानीय कैंडिडेट्स, उनका बैकग्राउंड, उनका कैरेक्टर सब कुछ मोदी के सामने नगण्य हो गया और लोगों ने सिर्फ बीजेपी को वोट दिया।

3- यूपीए के खिलाफ ‘जहर’: यूपीए के खिलाफ जबर्दस्त सत्ता विरोधी लहर थी। यूपीए सरकार जनता की समस्याओं से उदासीन सरकार के रूप में सामने आई। जनता को इससे मुक्ति और इसका विकल्प चाहिए था। इसी समय मोदी आर्थिक सुधारों के वादे के साथ सामने आए और जनता ने उन्हें हाथोंहाथ लिया।

4- राहुल के रूप में कमजोर प्रतिद्वंद्वीः यूपीए के प्रमुख प्रचारक राहुल गांधी उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बन गए। उन्होंने जिस भी रैली में अपना मुंह खोला या टीवी इंटरव्यू दिया उनका मजाक ही बना। इससे यूपीए को खासा नुकसान हुआ। जाहिर तौर पर नरेंद्र मोदी के सामने राहुल गांधी को खड़ा करना कांग्रेस की सबसे बड़ी भूल थी।

5- आप का तमाशा: जब 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में आप ने बीजेपी को सत्ता तक पहुंचने से रोका था तो लगा था कि वह कांग्रेस और बीजेपी के बाद तीसरा विकल्प बनेगी। आप को एक क्रांति के रूप में देखा गया। लेकिन आखिर में आप के काम करने के मूर्खतापूर्ण तरीकों, सिर्फ वाराणसी में फोकस करने और अपनी अंदरूनी लड़ाई उन पर भारी पड़ गई और लोगों ने आप की जगह नमो को चुनना बेहतर समझा।

6- एमएमएस (मनमोहन सिंह): यूपीए की जीत की संभावनाओं को मनमोहन सिंह की इमेज से भी धक्का पहुंचा। लोगों के बीच उनकी छवि एक ऐसे पीएम की बनी जो किसी भी चीज( करप्शन, विदेश नीति) के लिए स्टैंड नहीं लेते और हमेशा खामोश रहते हैं। विपक्षी पार्टियों ने भी उन्हें अब तक का सबसे कमजोर पीएम कहा। खैर मनमोहन चुप ही रहे और यूपीए की वापसी की उम्मीदें खामोश हो गईं।

7- कांग्रेस का मोदी की कम्यूनल इमेज पर फोकस करनाः कांग्रेस, टीएमसी, एसपी,बीएसपी और दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों ने एक सुर में कहा कि मोदी और बीजेपी की जीत से सामाजिक शांति खत्म हो जाएगी और देश को बांटने वाली ताकतें सक्रिय हो जाएंगी। आलोचकों ने मोदी को धुव्रीकरण करने वाला शख्स कहा और यह कहते हुए आलोचना की जब वह गुजरात के पीएम थे तो 2002 के दंगे को रोक पाने में नाकाम रहे। हालांकि इन बातों ने बजाय कि मोदी की इमेज को नुकसान पहुंचाने के देश में हिंदुओं के प्रति उनकी इमेज को मजबूत किया।

8- मोदी की कोर टीमः मोदी की कोर टीम ने उनकी जीत में अहम भूमिका निभाई। मोदी की इस टीम में शामिल राजनाथ सिंह अरुण जेटली, अमित शाह, नितिन गडकरी हमेशा मोदी के साथ चट्टान की तरह खड़े रहे और उन्होंने न सिर्फ पार्टी के सीनियर नेताओं को मजबूत बनने से रोका बल्कि मोदी के लिए एक मजबूत जमीन भी तैयार की।

9- चुनाव प्रचार की स्टाइलः मोदी के इलेक्शन कैंपने में दिखाया गया कि देश गंभीर खतरे में है और अगर यूपीए फिर से सत्ता में वापसी करती है तो भारत बर्बाद हो जाएगा।

10- निजी हमलेः मोदी ने अर्जुन की तरह एकदम अपने लक्ष्य पर निशान लगाया। उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान लगातार मां-बेटे की सरकार पर हमला किया। नतीजा यह हुआ कि 2014 के आम चुनाव गांधी हटाओ आंदोलन बन गया।

11- सोशल/मीडिया का रोलः शुरुआत सोशल मीडिया पर पप्पू और फेकू के जोक से हुई लेकिन जल्द ही हर जगह सिर्फ मोदी ही छा गए और फिर तो इलेक्ट्रॉनिक,हो या प्रिंट या फिर वेब मीडिया सब जगह बस एक ही नारा था, ‘अबकी बार मोदी सरकार।’

12- कांग्रेस का पीएम कैंडिडेट न घोषित करनाः बीजेपी ने 2013 में ही अपना पीएम कैंडिडेट घोषित कर दिया था लेकिन कांग्रेस की तरफ से इस मामले में अनिश्चितता रखी गई। राहुल लगातार पीएम बनने की अटकलों को खारिज करते रहे और इस भ्रम की स्थिति ने पार्टी की मुसीबतों में इजाफा ही किया।

13- यूपीए की खुद की भयंकर गलतियां: ऐसा नहीं है कि पिछले 10 सालों में कांग्रेस या यूपीए ने कोई विकास का काम नहीं किया। ऐसा नहीं है कि इस दौरान ग्रोथ या डिवेलमेंट नहीं हुई। लेकिन यूपीए सरकार अपनी उपलब्धियों को जनता के सामने प्रमोट नहीं कर पाई और सबसे बड़ी बात वह करप्शन की काली छाया में अपना वजूद ही खो बैठी।

14- महंगाई, करप्शन, डिप्रेशनः खस्ताहाल इकॉनमी, खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी, रुपये में गिरावट, बेरोजगारी, बड़े घोटालों, इन सबने मिलकर यूपीए की सत्ता में वापसी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। जनता करप्शन से परेशान थी, नौकरियां न मिलना और बढ़ती हुई महंगाई ने उनके जीवन को मुश्किल बना रखा था। इसलिए अपने जीवन में बदलाव लाने के लिए वह 10 साल की सत्ता को बदलने के लिए तैयार थी और उसे मोदी ने इन परेशानियों से मुक्ति का भरोसा दिलाया।

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