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रोटोमैक कंपनी मामले की जांच में उठा बड़ा सवाल, छोटी कंपनी को कहां से मिला इतना कर्ज

vikram kothari

कानपुर। पंजाब नेशनल बैंक के 11400 करोड़ के बड़े घोटाले के बाद रोटोमैक कंपनी के विक्रम कोठारी पर 3695 करोड़ के घोटाले के आरोप लगे हैं। सीबीआई और ईडी मामले की जांच कर रहे हैं। इस जांच में कई बिंदुओं को केंद्र में रखा गया है। विक्रम कोठारी के मामले की जांच में एक बिंदु मैन्यूफैक्चरिग यूनिट को कितना बड़ा ऋण का भी जुड़ा है इसमें इस बिंदु का मतलब है कि इसमें कितना ऋण द्या जा सकता है और कितना दिया जा सकता है। इस बिंदु पर जांच करने पर ये पता लगाया जा सकेगा कि ऋण देने में कितने नियमों का पालन किया गया। ऋण के मुताबिक कितनी सिक्योरिटी ली गई और कितनी ली जानी चाहिए थी। जांच में इन बिंदुओं के शामिल होने के बाद से बैंक के अधिकारी चुप्पी साधे हैं।

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बता दें कि 2006 में जारी स्माल एंड मीडियम स्केल इंटरप्राइजेज एक्ट 2006 में प्रावधान किया गया था कि निर्माण क्षेत्र की किसी भी इकाई में मशीनरी और इक्विपमेंट में 25 लाख से पांच करोड़ रुपये तक का निवेश करने पर उसे एसएमई सेक्टर की कंपनी माना जाएगा। यानी कंपनी का पूंजी निवेश पांच करोड़ से कम होगा। अब इसे पांच करोड़ से बढ़ाकर दस करोड़ रुपये कर दिया गया है। जब रोटोमैक पेन कंपनी को ऋण दिया गया था, तब मशीनरी एवं इक्विपमेंट में निवेश पांच करोड़ से कम था। ऐसे में फैक्ट्री लघु उद्योग की श्रेणी में आती है।

वहीं एक अधिकारी ने बताया कि एक कंपनी को आखिर कितना ऋण दिया जा सकता है। स्माल स्केल इंडस्ट्री को इतना बड़ा लोन देने के लिए कंसोर्टियम बनाने की जरूरत क्यों पड़ी, यह सवाल भी सबके मन में है। ऐसे में ऋण देने में कितने नियमों का पालन किया गया और क्या गारंटी ली गई, जांच का यह भी अहम बिंदु है। सूत्रों का कहना है कि इस दिशा में भी काम हो रहा है। बैंकों से ऋणों की पूरी डिटेल भी ली जा रही है। विक्रम कोठारी पंजाब नेशनल बैंक के भी देनदार हैं। बैंक के क्षेत्रीय प्रमुख एसके सिंह ने बताया कि बैंक कंसोर्टियम में शामिल नहीं है। उनकी कंपनी पर बैंक का एक कार लोन बकाया है। यह राशि तीस लाख रुपये से कम है।

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