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बिटक्वॉइन:500 साल पहले भी था चलन में, कुछ इस तरह होता था इसका उपयोग

बिटक्वॉइन बिटक्वॉइन:500 साल पहले भी था चलन में, कुछ इस तरह होता था इसका उपयोग

लखनऊ। मौजूदा दौर में बिटक्वॉइन का चलन है और लोग इसमें निवेश भी कर रहे हैं। इसमें निवेश के दौरान कुछ लोगों को फायदा तो कुछ लोगों को नुकसान होने की भी खबर है।

जिस तरह से मौजूदा समय में बिटक्वॉइन का चलन है , कुछ उसी तरह का बिटक्वॉइन करीब 500 साल पहले भी चला करता था, बस अंतर था तो सिर्फ इतना कि वह असली बिटक्वॉइन हुआ करता था, मौजूदा दौर की तरह डिजिटल करेंसी नहीं होती थी। दुनिया में एक जगह ऐसी थी, जहां पर बिटक्वॉइन धन की संपन्नता दिखाने का एक तरीका था, यह उस जगह की मुद्रा व्यवस्था थी।

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सालों पहले बिटक्वॉइन धन की संपन्नता दिखाने का एक तरीका था

बताया जाता है कि गोलाकार छेद वाले पत्थरों के बदले में उस जगह पर लोगों को खाना तथा रसद आदि मिला करता था। आपको जानकर हैरानी होगी कि शादियों से लेकर संघर्ष तथा राजनीतिक समझौतों में इस बिटक्वॉइन का संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल होता था तो आज हम आपको बताते हैं 500 साल पुराने बिटक्वॉइन के बारे में।

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बिटक्वॉइन:500 साल पहले भी था चलन में, कुछ इस तरह होता था इसका उपयोग

माइक्रोनेसिया के याप द्वीप पर आज भी गोल छेद वाले पत्थर देखे जा सकते हैं, इन पत्थरों को राय स्टोन सर्किल कहा जाता है, बताया जाता है कि इन्हें चूना पत्थर से काटकर बनाया जाता है। इन पत्थरों का कई आकार होता है, जैसे बिस्किट, बैल गाड़ियों के पहिए तथा थोड़े तिरछे आकार के भी होते हैं।

याप द्वीप पर यह पत्थर अनागुमाँग द्वीप से लाये गये बताए जाते हैं। लगभग 500 साल पहले याप द्वीप के लोग अनागुमाँग द्वीप पर गए थे। तो वहां पर चुना पत्थरों को देख कर याप द्वीप के लोग हैरान रह गए। इसके बाद अनागुमाँग द्वीप के लोगों से परमीशन के बाद यह पत्थर याप द्वीप पर आया ।

यह पत्थर सिर्फ धन के तौर पर इस्तेमाल नहीं होता था बल्कि इसका एक सामाजिक मूल्य भी हुआ करता था और कार्यक्रमों में बतौर तोहफा इसका लेनदेन होता था, यही कारण है कि आज भी इस द्वीप पर यह पत्थर सड़कों, पार्कों तथा घरों के आसपास मिल जाएंगे।

इस पत्थर की कीमत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज भी इस के मालिकाना हक के लिए एक व्यवस्था है,पार्को,सड़कों तथा घरों के आसपास रखे पत्थर किसी न किसी शख्स की संपत्ति होती है और इस पर उसका मालिकाना हक होता है।

वर्ष 2019 में ओरेगॉन यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविद ने पत्थरों का अध्ययन किया उसके बाद इसे बिटक्वॉइन से जोड़ा गया।

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