हरिद्वार: सुरक्षित सेहत का ध्यान रखते हुए भारत सरकार की पहल पर खाद्य सुरक्षा विभाग की निगरानी में उत्तराखंड में भी अब हरित ईंधन की शुरूआत हरिद्वार से हो चुकी है। इससे जहां लोगों को एक ही कुकिंग आयल के बार बार प्रयोग से सेहत को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
बायो फ्यूल या बायो डीजल तैयार करने की प्रक्रिया के सम्बन्ध में, अभिहित अधिकारी खाद्य सुरक्षा कुंभ आरएस रावत ने बताया कि बायो डीजल या हरित ईंधन नये युग की स्वास्थ्य की दिशा में क्रांति है। उन्होंने कहा कि एक ही कुकिंग आयल को तीन बार से अधिक प्रयोग करना स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। इससे बचने के लिए भारत सरकार की पहल पर कुंभ में भी विभाग की निगरानी में हरिद्वार में इसकी शुरुआत हो चुकी है। सरकार की ओर से अधिकृत एक कंपनी जिसका प्लांट भिवाड़ी हरियाणा में है। वह हरिद्वार के होटल, रेस्टोरेंट, कारोबारियों से ऐसे रियूज्ड कुकिंग आयल को एकत्रित करने का काम कर रही है। इसके लिए आज ऐसे कारोबारियों को कैन भी दिया गया है।
ऐसे एकतित्र होगारि यूज्ड कुकिंग आयल-
बताया गया कि हरिद्वार में इस योजना के क्रियान्वयन के लिए एक विशेष ट्रेनिंग कार्यक्रम बनाया गया है. 25 व्यापारियों पर एक प्रशिक्षित व्यापारी की नियुक्ति की जाएगी. वहीं, एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया जाएगा जिसमें हरिद्वार के व्यापारियों को जोड़ा जाएगा. इस ग्रुप में व्यापारी अपने यहां बचे हुए तेल की जानकारी देंगे और विभाग एवं उस पर उनके प्रतिष्ठान पर जाकर उनसे 25 रुपये किलो के हिसाब से बचा हुआ तेल खरीदेगा. यहां से तेल टैंकरों में भरकर सीधा राजस्थान के रेवाड़ी पहुंचाया जाएगा जहां इसका रिफाइन कर इसका बायोडीजल बनाया जाएगा.
आरएस रावत ने बताया कि कुकिंग आयल का रिसाइक्लिंग कर औद्योगिक प्रयोजन में इस्तेमाल किया जाएगा। बताया कि औसतन 10 लीटर ऐसे कुकिंग आयल से सात से आठ लीटर बायो फ्यूल तैयार हो सकता है। बायो फ्यूल से पर्यावरण के संरक्षण के साथ ही लोग सेहतमन्द भी होंगे। कुंभ के दृष्टिगत इस कार्य में तेजी लाई जा रही है।