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अमेरिकी संसद में ये बिल हुआ पास तो हट जाएगी ग्रीन कार्ड पर लगी लिमिट

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नई दिल्ली। अमेरिका में जल्द ही हर देश के हिसाब से ग्रीन कार्ड की संख्या पर लागू सीमा को समाप्त किया जा सकता है। बता दें कि देश के हिसाब से ग्रीन कार्ड की संख्या सीमित होने के चलते भारत और चीन के नागरिकों को औसतन कम नागरिकता मिल पाती है जबकि अन्य देशों के नागरिकों को आसानी से अमेरिका की स्थायी नागरिकता मिल जाती है। इस संबंध में अमेरिकी संसद में पेश किए गए बिल के पास हो जाने के बाद ग्रीन कार्ड की संख्या पर लगी लिमिट खत्म हो जाएगी। अमेरिका की दोनों पार्टियों (रिपब्लिकन और डेमोक्रैटिक) के ज्यादातर सांसद इस बिल के पक्ष में हैं, ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इसके कानून बनने में कोई समस्या नहीं होने वाली है। सदन में कैलफर्निया के सांसद जो लॉफग्रेन (डेमोक्रैट) और लोवा से सांसद केन बक (रिब्लिकन) ने सदन में फेयरनेस ऑफ हाई स्किल्ड इमीग्रैंट्स ऐक्ट 2019 का नया वर्जन पेशन पेश किया। सदन में कमला हैरिस (डेमोक्रैट) और माइक ली (रिपब्लिकन) ने भी इसका समर्थन किया है।

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इस बिल के पास हो जाने से अमेरिका में नौकरी के आधार पर मिलने वाली स्थायी नागरिकता दिए जाने संबंधी लिमिट समाप्त हो जाएगी। अभी यह लिमिट सात पर्सेंट है। अभी के नियमों के हिसाब, एक साल में 1,40,000 से ज्यादा ग्रीन कार्ड नहीं जारी किए जा सकते हैं। इसके अलावा किसी भी एक देश से 9,800 नागरिकों को एक साल में स्थायी नागरिकता नहीं दी सकती है। इस कानून के प्रभाव आने के बाद अमेरिका में नागरिकता मिलने का इंतजार कर रहे भारतीय और चीनी नागरिकों के पेंडिंग पड़े ऐप्लिकेशन क्लियर हो सकते हैं। अभी एक साल में भारत के मात्र 9,800 नागरिकों को ही अमेरिका की स्थायी नागरिकता मिल पाती है जबकि हर साल ऐसे हाई स्किल्ड लोगों की संख्या बहुत ज्यादा होती है,जो काम की तलाश में अमेरिका जाते हैं।

इस प्रस्तावित बिल से अन्य देशों के अप्रवासियों में हलचल मच गई है क्योंकि उन्हें लगता है कि इस बिल को भारत के पक्ष में तैयार किया गया है। आपको बता दें कि हर साल सबसे ज्यादा भारतीय H-1B और L वीजा पर अमेरिका जाते हैं। 2018 में इस बिल के खिलाफ लॉबिंग करने वाले राष्ट्रीय ईरानी-अमेरिकी परिषद (एनआईएसी) ने गुरुवार को कहा, ‘हम अभी भी इसके प्रभावों के बारे में चिंतित हैं। अमेरिकन हॉस्पिटल्स असोसिएशन जैसी संस्थाएं भी इस बिल का विरोध कर रही हैं क्योंकि इससे अन्य देशों जैसे फिलीपींस और श्रीलंका के नागरिकों को स्थायी नागरिकता मिलने की गति कम होने की आशंका है।

बता दें कि इन देशों से ही सबसे ज्यादा नर्सें अमेरिका में आती हैं। वहीं टेक्नॉलजी बेस्ड माइक्रोसॉफ्ट और आईबीएम जैसी कंपनियां इस बिल के समर्थन में हैं क्योंकि इससे उन्हें ज्यादा से ज्यादा संख्या में भारतीय इंजिनियर्स और सॉफ्टवेयर डिवेलपर्स को हायर करने मे आसानी होगी। आपको यह भी बता दें कि अमेरिका में अभी जितने ग्रीन कार्ड ऐप्लिकेशन पेंडिंग में हैं, उसमें से 90 पर्सेंट भारतीयों के ही हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर यह कानून बन जाता है तो भारतीयों को ग्रीन कार्ड के साथ-साथ H-1B वीजा भी ज्यादा संख्या मिलेगा। आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2018 तक ही अमेरिका के टेक्नॉलजी क्षेत्र में 3 लाख भारतीय ऐसे हैं, जो ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं।

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