जयपुर। राजस्थान में गुर्जर समेत पांच जातियों को पांच फीसदी आरक्षण देने संबंधी विधेयक बुधवार को विधानसभा में पास हो गया। इसमें सरकारी नौकरियों के साथ ही शैक्षणिक संस्थाओं में अलग से आरक्षण देने का प्रावधान है। इस पर गुर्जर नेता किरोड़ीमल बैंसला ने कहा कि इससे पहले भी चार बार आरक्षण संबंधी विधेयक पास हो चुके हैं। सरकार द्वारा तैयार किए गए मसौदे का अध्ययन और गजट नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ही आंदोलन खत्म करने पर फैसला लेंगे। फिलहाल आंदोलन जारी रहेगा।
बता दें कि विधानसभा में कैबिनेट मंत्री बीडी कल्ला ने विधेयक पेश किया। इसमें बंजारा, गाडिया लौहार, गुर्जर, रेबारी, गड़रिया जातियों को आरक्षण देने का जिक्र है। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि संविधान में संशोधन के बिना आरक्षण की मांग का हल निकालना मुश्किल है। इससे पहले भी कई बार आरक्षण देने का प्रयास किया गया है। लेकिन कोर्ट में जाकर मामला अटक जाता है। उधर, गुर्जर नेता बैंसला ने कहा कि बिल का अध्ययन करने के बाद ही आंदोलन खत्म करने का फैसला किया जाएगा। बिल में क्या-क्या है? अभी इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। बिल ऐसा होना चाहिए जो न्यायालय में ना अटके।
गुर्जर समाज कर रहा आंदोलन
पिछले छह दिनों से गुर्जर समाज आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहा है। बुधवार को भी सीकर में सड़क जाम कर रहे आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई। पुलिस ने लाठीचार्ज करके लोगों को खदेड़ा। इसके साथ ही हिंडौन, मलराना समेत कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने रेल और सड़क मार्ग बाधित किया।
कैबिनेट की बैठक 2 घंटे चली चर्चा
इससे पहले मंगलवार को गुर्जर आरक्षण और मसौदे पर चर्चा के लिए दिनभर मुख्यमंत्री कार्यलय में बैठकों का दौर चला। दोपहर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुआई में कोर कमेटी की बैठक बुलाई गई। शाम को कैबिनेट की बैठक बुलाई गई। इसमें गुर्जर और सवर्ण आरक्षण के मुद्दे पर करीब दो घंटे चर्चा हुई। संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि सरकार ने अपने घोषणा पत्र में साफ लिखा है कि कानून बनाकर गुर्जरों को 5% आरक्षण देने का काम करेंगे। मसौदे को लेकर आईएएस नीरज के. पवन ने सवाईमाधोपुर में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला से भी मुलाकात की।
आंदोलन के चलते कई जगहों पर यातायात बाधित
कोटपूतली से नीमकाथाना, हिंडौन से करौली, सवाईमाधोपुर से धौलपुर और दौसा से आगरा का मार्ग पूरी तरह से बंद है। इन मार्गों पर बसों के साथ अन्य वाहनों का संचालन बंद है। दौसा-आगरा की वजह से रोडवेज को सबसे अधिक राजस्व का नुकसान हुआ है। इस मार्ग के बंद होने से यूपी के 50 प्रतिशत शहरों का संपर्क टूट गया है।