बाइक बोट घोटाले का मास्टरमाइंड बीएन तिवारी को आज मेरठ से गिरफ्तार कर लिया गया है। बाइक बोट घोटाले में अहम भूमिका निभाने वाले अपराधी बीएन तिवारी की यूपी एसटीएफ को काफी दिनों से तलाश थी। इसके बाद 50000 के इनामी डीएन तिवारी को मेरठ से यूपी एसटीएफ की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है।
बीएन तिवारी के लखनऊ स्थित घर की हुई थी कुर्की
बी एन तिवारी जो कि बाइक बोट घोटाले का मुख्य आरोपी था। इसकी तलाश में पुलिस को काफी समय से थी। लेकिन पुलिस के हाथ यह अपराधी नहीं लग रहा था। इसी कड़ी में बीते दिनों राजधानी लखनऊ में EOW की तरफ से बीएन तिवारी के आवास की कुर्की भी की गई थी। जिससे कि बीएन तिवारी पर शिकंजा कसा जा सके। लेकिन उसके बाद भी आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (EOW) के हाथ खाली थे ।
50000 का इनामी मुख्य आरोपी है बीएन तिवारी
गिरफ्तारी से भाग रहे बीएन तिवारी पर पुलिस ने शिकंजा कसने के लिए हर संभव प्रयास किए। इसी कड़ी में राजधानी लखनऊ स्थित घर की कुर्की की। लेकिन उसके बाद भी अपराधी हाथ नहीं लगा। इसके बाद बीएन तिवारी पर 50000 का इनाम रखा गया। लेकिन हालात जस के तस बने रहे ।
टीवी चैनल चलाकर घोटाले में गिरफ्तारी से बच रहा था बीएन तिवारी
इसके साथ-साथ बीएन तिवारी राजधानी लखनऊ में अपना टीवी चैनल भी चला रहा था। इसके माध्यम से वह वरिष्ठ अधिकारियों व नेताओं के बीच में अपने संबंध बनाकर गिरफ्तारी से लगातार बचने का प्रयास कर रहा था। लेकिन इस बीच यूपी एसटीएफ की तरफ से मेरठ में बीएन तिवारी को गिरफ्तार कर लिया गया है। यूपी एसटीएफ की टीम में शामिल डीएसपी अवनीशवर श्रीवास्तव की टीम ने बीएन तिवारी को मेरठ से गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि इस दौरान बीएन तिवारी ने लगातार भागने की कोशिश की लेकिन यूपी एसटीएफ की टीम ने शिकंजा कसते हुए बीएन तिवारी को गिरफ्तार कर लिया।
ऐसे हुआ था घोटाला
बाइक बोट घोटाला से बड़े नाम जुड़े होने की बात कही जाती है। इस बाइक बोट घोटाले के तहत करोड़ो रूपये की रकम की हेराफेरी गई। घोटाले को अंजाम देने कई बड़े बड़े नाम सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में गौतम बुध नगर में बसपा नेता संजय भाटी ने गर्वित इन्नोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड कंपनी खोली थी और बाइक टैक्सी चलाने की आकर्षक योजनाओं का झांसा लोगों को देना शुरू किया था। इसके बाद लोग झांसे में आते चले गए। उत्तर प्रदेश में यह कंपनी खोली गई। इसके साथ-साथ राजस्थान हरियाणा व मध्य प्रदेश तक के निवेशकों के करोड़ों रुपए पहले निवेश कराए गए और बाद में इन कंपनी के मालिकों के द्वारा हड़प लिए गए थे। जिसके बाद निवेशकों ने संजय भाटी व अन्य के खिलाफ गौतमबुद्ध नगर में 57 मुकदमे दर्ज कराए थे। इसके बाद से ही यूपी पुलिस व एसटीएफ इस पूरे मामले को लेकर के सक्रिय थी।